Anti Tobacco Day 2024: दुनियाभर में हर साल 31 मई को World No Tobacco Day मनाया जाता है. इस दिन लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर जागरुक किया जाता है. हर साल WHO की ओर से इसकी एक थीम  (World No Tobacco Day 2024 Theme) तैयार की जाती है. साल 2024 की थीम है 'Protecting Children from Tobacco Industry Interference' इसका मतलब है तंबाकू उद्योग की दखल से बच्चों की रक्षा करना. आइए आपको बताते हैं कि कैसे हुई इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत, क्‍या है विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस का महत्‍व और इतिहास.

क्‍या है इस दिन का महत्‍व

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तंबाकू एक ऐसी चीज है जिसकी इंसान को लत लगते देर नहीं लगती. कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की एक बड़ी वजह तंबाकू होती है. इसके अलावा भी ऐसी तमाम जानलेवा बीमारियां हैं, जो तंबाकू के कारण होती हैं. दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत की वजह तंबाकू बनती है. हर कोई जानता है कि तंबाकू सेहत के लिए कितनी हानिकारक है, लेकिन हैरानी की बात है कि फिर भी दुनियाभर में इसका चलन कम नहीं हो रहा. हर साल तंबाकू निषेध दिवस को सेलिब्रेट करके लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरुक किया जाता है और उन्‍हें तंबाकू का सेवन रोकने के लिए प्रेरित किया जाता है. 

कैसे हुई वर्ल्‍ड नो टोबैको डे की शुरुआत

तंबाकू का सेवन आज के समय में ही नहीं है, बल्कि काफी सालों से किया जा रहा है. इसके कारण होने वाली तमाम जानलेवा बीमारियों और मौत के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए विश्व स्वास्थ संगठन ने 1987 में इस दिन को सेलिब्रेट करने का फैसला किया. इसके बाद पहली बार 7 अप्रैल 1988 को विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में पहली बार सेलिब्रेट किया गया. 31 मई 1988 को WHO42.19 प्रस्ताव पास होने के बाद इस दिन को हर साल 31 मई को मनाया जाने लगा. तब से हर साल इसे 31 मई को ही मनाया जाता है.

कैसे लोग बनते हैं तंबाकू के आदी

इस मामले में डॉ. रमाकान्‍त शर्मा का कहना है कि तंबाकू में निकोटीन नाम का नशीला रसायन होता है. इसके अलावा कई अन्‍य तरह के विषैले पदार्थ होते हैं. निकोटीन शरीर में मीठे जहर का काम करता है. आप पान मसाला, जर्दा या सिगरेट के तौर पर जब भी तंबाकू का सेवन करते हैं, तो इससे निकोटीन आपके शरीर में पहुंचता है और शरीर में पहुंचकर नर्वस सिस्‍टम को प्रभावित करता है. इसके कारण व्‍यक्ति को थकान से राहत महसूस होती है और शरीर में फुर्ती का अहसास होता है. लेकिन निकोटीन का ये असर थोड़ी देर तक ही रहता है. जब असर खत्‍म होता है, तो शरीर फिर से ढीला पड़ जाता है और ऐसे में फिर से तंबाकू को लेने की क्रेविंग होने लगती है. इस तरह इंसान कब तंबाकू का आदी बन जाता है उसे प‍ता ही नहीं चलता.