Amrita Pritam Birthday: स्त्री तो खुद डूब जाने को तैयार रहती है, समन्दर अगर उसकी पसन्द का हो, पढ़ें अमृता की कविताओं के टॉप लाइनर
अमृता प्रीतम के लेखन ने साहित्य जगत को नया आयाम दिया. अमृता प्रीतम के लेखन से ऐसा लगता है, कि मानो सारी घटनाएं आंखों के सामने से गुजर रही हों.
पाकिस्तान के गुजरांवाला में 31 अगस्त, 1919 को जन्मीं अमृता प्रीतम का नाम साहित्य जगत में किसी पहचान की मोहताज नहीं है. उनके लेखन ने साहित्य जगत को नया आयाम दिया. अमृता प्रीतम के लेखन से ऐसा लगता है, कि मानो सारी घटनाएं आंखों के सामने से गुजर रही हों. बचपन में मां खोने का ग़म, 16 साल की उम्र में नापसंद शादी, साहिर लुधियानवी से बेइंतहा प्रेम और इमरोज का साथ... इस तरह के उतार-चढ़ाव से भरी थी अमृता की जिंदगी.
अपनी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' में अमृता लिखती हैं- 'मेरी सारी रचनाएं, क्या कविता, क्या कहानी, क्या उपन्यास, सब एक नाजायज बच्चे की तरह हैं. मेरी दुनिया की हकीकत ने मेरे मन के सपने से इश्क किया और उसके वर्जित मेल से ये रचनाएं पैदा हुईं. आज अमृता प्रीतम की 103वीं जयंती है. इस मौके पर यहां पढ़ें अमृता प्रीतम की बेहतरीन कविताओं के टॉप लाइनर.
जिन्दगी तुम्हारे उसी गुण का इम्तिहान लेती है,
जो तुम्हारे भीतर मौजूद है मेरे अन्दर इश्क़ था.
जितना लिखा गया तुझे ऐ इश्क़
सोचती हूं उतना निभाया क्यू नहीं गया.
काया की हक़ीक़त से लेकर, काया की आबरू तक मैं थी,
काया के हुस्न से लेकर, काया के इश्क़ तक तू था.
स्त्री तो खुद डूब जाने को तैयार रहती है,
समंदर अगर उसकी पसन्द का हो
सपने- जैसे कई भट्टियां हैं,
हर भट्टी में आग झोंकता हुआ,
मेरा इश्क़ मज़दूरी करता है.
मेरी नज़र में अधूरे ख़ुदा का नाम इंसान है,
और पूरे इंसान का नाम ख़ुदा है.
जिसने अंधेरे के अलावा कभी कुछ नहीं बुना,
वो मुहब्बत आज किरणें बुनकर दे गयीं.
इंसान भी एक समुद्र है
किसी को क्या मालूम कि
कितने हादसे और कितनी यादें उसमें समाई हुई होती हैं.
तेरे इश्क की एक बूंद इसमें मिल गई थी,
इसलिए मैंने उम्र की सारी कड़वाहट पीली.
मर्द ने औरत के साथ अभी तक सोना ही सीखा है, जागना नहीं,
इसीलिए मर्द और औरत का रिश्ता उलझन का शिकार रहता है.