Amarnath Yatra 1 जुलाई से शुरू होने जा रही है. ये यात्रा बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण मानी जाती है. लेकिन इस यात्रा को पूरा करने के बाद जब बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं, तो मानो सारी थकान और सारा दर्द दूर हो जाता है. आसपास का दृश्‍य इतना मनोरम होता है कि वहीं ठहर जाने का मन करता है. अमरनाथ धाम (Amarnath Dham) की दुनियाभर में विशेष मान्‍यता है. कहा जाता है क‍ि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्‍व की कथा सुनायी थी.

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इस कथा को सुनाने के लिए उन्‍हें एकान्‍त की जरूरत थी, इसलिए उन्‍होंने अपनी हर प्रिय चीज को त्‍याग दिया था. जिन-जिन स्‍थानों पर उन्‍होंने अपनी प्रिय चीजों को त्‍यागा था, आज वो स्‍थान अमरनाथ के खास पड़ावों में शामिल हैं. आप भी इस साल अमरनाथ धाम में जाकर बाबा बर्फानी के दर्शन करना चाहते हैं, तो इन खास पड़ावों के बारे में जरूर जान लें.

पहलगाम

अमरनाथ धाम की यात्रा दो मार्गों से तय की जाती है, एक बालटाल और दूसरा पहलगाम. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने गुफा तक पहुंचने के लिए पहलगाम का मार्ग चुना था. जब भगवान शिव माता पार्वती को एकान्‍त गुफा की ओर ले जा रहे थे, तो सबसे पहले उन्‍होंने नंदी को त्‍यागा था. आज ये स्‍थान पहलगाम कहलाता है. पहलगाम अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा का प्रारंभिक बिंदु है. यहीं से यात्रा शुरू होती है.

चंदन वाड़ी 

पहलगाम से कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद आपको दूसरा पड़ाव मिलता है, जिसे चंदन वाड़ी के नाम से जाना जाता है. मान्‍यता है कि ये वो स्‍थान है जहां भगवान शिव ने चंद्रमा को खुद के मस्तिष्‍क से अलग किया था. इस स्थान का कण कण पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि अपने शरीर का भभूत और चंदन भी शिव जी ने इसी ​स्थान पर उतार दिया था. यहां की मिट्टी को लोग अपने मस्तक पर लगाते हैं.

शेष नाग झील

जब आप कुछ और दूर चलते हैं तो अगला पड़ाव शेषनाग झील है. कहा जाता है कि यहां महादेव ने अपने प्रिय सर्प वासुकि को गले से उतार दिया था. यहां एक झील है. माना जाता है कि उसमें शेष नाग का वास है. इस झील को देखकर ऐसा लगता है कि मानो शेष नाग स्वयं फन फैलाकर यहां विराजमान हों. इस लिए इस स्‍थान को शेषनाग झील के नाम से जाना जाता है.

महागुणस पर्वत 

आगे बढ़ने के बाद चौथा पड़ाव महागुणस पर्वत है. इसे गणेश टॉप और महागणेश पर्वत के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस स्‍थान पर प्रभु ने अपने प्रिय पुत्र गणेश को रुककर इंतजार करने को कहा था. इस स्‍थान पर बेहद खूबसूरत झरने और मनोरम दृश्‍य हैं.

सबसे आखिरी पड़ाव है गुफा

इन सभी पड़ावों को पार करने के बाद आखिर में वो गुफा आती है, जहां शिव जी ने माता पार्वती को अमरत्‍व की कथा सुनाई थी. इस गुफा में हर साल 10 से 12 फीट ऊंची शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनती है. इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हर साल दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मान्‍यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से व्‍यक्ति के जीवन के अनेकों पाप दूर हो जाते हैं. उसकी मनोकामना पूर्ण होती है.

 

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