हर साल 21 सितंबर को विश्‍व अल्‍जाइमर दिवस (World Alzheimer's Day 2024) मनाया जाता है. ये दिन लोगों को अल्‍जाइमर बीमारी के प्रति जागरुक करने का दिन है. अल्‍जाइमर की समस्‍या वैसे तो ज्‍यादातर बुजुर्गों को होती है, लेकिन अब ये कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रही है. अल्‍जाइमर एक मानसिक रोग है जिसके लक्षण आमतौर पर सामान्‍य से मालूम पड़ते हैं, इसलिए लोग इसको गंभीरता से नहीं लेते हैं. लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न कराया जाए तो धीरे-धीरे स्थिति गंभीर हो सकती है. कई बार हालात ऐसे भी हो सकते हैं कि रोगी अपनों को ही ठीक से न पहचान पाए. जानिए इस बीमारी से जुड़ी खास बातें.

कैसे हुई अल्‍जाइमर डे को मनाने की शुरुआत

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अल्‍जाइमर का इलाज पहली बार 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था. इस बीमारी का इलाज जर्मन मनोचिकित्‍सक डॉ. अलोइस अल्‍जाइमर ने किया था. उन्‍हीं के नाम पर इस बीमारी को अल्‍जाइमर कहा गया.  जब अल्‍जाइमर डिजीज ने 21 सितंबर 1994 को अपनी 10वीं एनिवर्सरी सेलिब्रेट की, तब इस दिन को वैश्विक स्‍तर पर हर साल मनाने की घोषणा की गई. साल 2012 में इसे पहली बार वैश्विक स्‍तर पर सेलिब्रेट किया गया. हर साल इस दिन अल्‍जाइमर रोग को लेकर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. हर साल इस दिन को एक थीम के साथ मनाया जाता है. साल 2024 की थीम है 'Time to act on dementia, Time to act on Alzheimer's.'

क्‍या होते हैं अल्‍जाइमर के लक्षण

अल्‍जाइमर से पीडि़त मरीजों को कोई भी डिसीजन लेने, चीजों को समझने और याद करने में काफी परेशानी होती है. स्थिति गंभीर होने पर व्‍यक्ति रोज में बोले जाने वाले शब्‍द भी भूलने लगता है. उस रास्‍ते याद नहीं रहते, वो आसानी से कोई निर्णय नहीं ले पाता, यहां तक कि भोजन करने के बाद भी वो ये भूल जाता है कि उसने भोजन कर लिया है. बीमारी के गंभीर होने पर वो लोगों को पहचानना भी कम कर देता है. अपने आसपास के लोगों, रिश्तेदारों के नाम भी भूलने लगता है. ऐसा व्‍यक्ति धीरे धीरे दूसरों पर निर्भर होता चला जाता है. 

 

क्‍यों होती है ये समस्‍या

- इस मामले में डॉ. रमाकान्‍त शर्मा बताते हैं कि अल्‍जाइमर को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है. बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण है. जिस तरह बुढ़ापे में शरीर के अन्‍य अंग कमजोर हो जाते हैं, उसी तरह दिमाग भी प्रभावित होता है.

- अगर आपके घर में इस रोग की फैमिली हिस्‍ट्री रही है, तो आपके लिए भी इस बीमारी का रिस्‍क बढ़ जाता है.

- डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे मरीजों में अल्‍जाइमर होने का रिस्‍क काफी ज्‍यादा होता है.

- सिर पर लगी गंभीर चोट भी अल्‍जाइमर के खतरे को बढ़ा सकती है. हालांकि ऐसा हो, ये जरूरी नहीं.

- आजकल का लाइफस्‍टाइल, तनाव, डिप्रेशन, अकेलापन, शराब का अत्‍यधिक सेवन और धूम्रपान की लत आदि भी इसकी वजह माने जाते हैं.

बचाव के लिए क्‍या करें 

  • इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए शुरू से ही लाइफस्‍टाइल को लेकर अलर्ट रहें. खानपान बेहतर रखें.
  • फिजिकली फिट रखने के लिए योग, प्राणायाम और एक्‍सरसाइज करें.
  • शराब, स्‍मोकिंग जैसी आदतों को गुडबाय बोल दें.
  • म्‍यूजिक सुनें या वो काम करें जो आपको पसंद आएं. वो गेम्‍स खेलें जिसमें मेंटल एक्‍सरसाइज होती रहे.
  • उन लोगों के साथ समय गुजारें जिनके साथ आपको अच्‍छा लगे. अपने मन की बात को लोगों के साथ शेयर करें.