दिल्‍ली के तमाम इलाकों में प्रदूषण के चलते बुरा हाल है. कई जगहों पर AQI 400 के पार पहुंच गया है. लेकिन इस समय दुनियाभर में प्रदूषण के मामले में सबसे ज्‍यादा चर्चा पाकिस्‍तान की है. इसकी वजह है कि वहां लाहौर का AQI 1000 से 1900 के बीच बना हुआ है. मतलब वहां की हवा इतनी ज्‍यादा जहरीली हो चुकी है कि हर तरफ हाहाकार की स्थिति मची हुई है. इसके अलावा वहां कराची, पेशावर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी और मुल्तान जैसे शहरों में भी प्रदूषण के चलते बुरा हाल है. 

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इन हालातों को देखते हुए वहां Green Lockdown लागू किया गया है. इसके तहत लाहौर के सभी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को अब WORK FORM HOME करना होगा, स्‍कूल इस हफ्ते बंद रहेंगे. पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा. निर्माण कार्य से जुड़ी एक्टिविटीज पर रोक रहेगी और सभी के लिए मास्‍क पहनना अनिवार्य होगा. आइए आपको बताते हैं कि कितना AQI सेहत कि लिए हानिकारक हो जाता है और 1900 पर पहुंचने पर हालात क्‍या हो सकते हैं?

पहले समझिए क्‍या होता है AQI

AQI के जरिए हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), ओजोन, PM 2.5 और पीएम 10 पॉल्यूटेंट्स वगैरह को देखा जाता है. ये पॉल्यूटेंट्स हवा में जितने ज्‍यादा होंगे, हवा उतनी ही जहरीली होगी. इनमें भी PM 2.5 को बेहद खतरनाक माना जाता है. ये अतिसूक्ष्म कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है. PM 2.5 कोयले को जलाने, पराली जलाने, औद्योगिक ईकाइयों से उत्सर्जन, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं आदि तमाम इसके कारण हो सकते हैं.

401 से 500 के बीच हो AQI तो 'गंभीर' हो जाते हैं हालात

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के छह मानक होते हैं, जो ये बताते हैं कि शहर की हवा सांस लेने योग्‍य है या नहीं. ये छह मानक हैं- अच्छी, संतोषजनक,सामान्‍य, खराब, बहुत खराब और गंभीर जैसी कैटेगरी शामिल हैं. 0-50 के बीच 'अच्‍छी', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'सामान्य', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच अगर AQI पहुंच जाए तो इसे 'गंभीर' माना जाता है. ऐसे में आप ये अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि पाकिस्‍तान के लाहौर के हालात कितने खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गए हैं.

जानिए कैसे शरीर को पहुंचता है नुकसान

सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. निष्‍ठा सिंह की मानें तो हवा में PM 2.5 की अधिकता बेहद खराब होती है. ये कण इतने छोटे होते हैं कि आप इन्‍हें खुली आंखों से भी नहीं देख सकते. ये कण सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में खांसी, सांस लेने में दिक्‍कत, फेफड़ों में इन्‍फेक्‍शन, नाक, कान और गले में इन्‍फेक्‍शन, आंखों में जलन, स्किन से जुड़ी समस्‍याएं, बालों का झड़ना आदि समस्‍याएं पैदा करते हैं. इसके अलावा जो लोग पहले से सांस के मरीज है, अस्‍थमा, हार्ट और बीपी या किसी अन्‍य बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए ये इमरजेंसी की स्थिति भी पैदा कर सकते हैं. 

AQI का 1900 पर पहुंचना कितना गंभीर

AQI अगर 400 पार कर जाए तो इसे 'गंभीर' माना जाता है. माना जाता है, ऐसे में AQI का 1900 पर पहुंचना मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है. इन हालातों में सामान्‍य व्‍यक्ति को भी मेडिकल हेल्‍प की जरूरत पड़ सकती है. अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की अन्‍य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों व हार्ट डिजीज और दूसरी गंभीर बीमारियों को झेल रहे मरीजों के लिए हालात जानलेवा हो सकते हैं. प्रेगनेंट महिलाओं के लिए कॉम्‍प्‍लीकेशंस पैदा हो सकते हैं.

क्‍या है दिल्‍ली में प्रदूषण का हाल

दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार जा पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह सात बजे मुंडका में एक्यूआई 419 बवाना में 412, बुराड़ी में 370, अशोक विहार 398, आईटीओ 327, जहांगीरपुरी 398, रोहिणी 395, नजफगढ़ 354, आरकेपुरम 373, पंजाबी बाग 388, सोनिया विहार 381, द्वारका सेक्टर 8 में 355 दर्ज किया गया है.