Sourav Ganguly Birthday: फुटबॉलर बनना चाहते थे गांगुली, फिर कैसे बन गए क्रिकेटर, जानिए 'दादा' की लाइफ के दिलचस्प किस्से
Happy Birthday Sourav Ganguly: 'दादा' के नाम से मशहूर गांगुली के क्रिकेट की दुनिया में उनके तमाम किस्से मशहूर हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि सौरव गांगुली क्रिकेटर नहीं, फुटबॉलर बनना चाहते थे. फिर कैसे उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा? जानिए दिलचस्प किस्सा.
51st Birthday of Sourav ganguly: भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली आज 51 साल के हो गए हैं. उनकी पहचान एक बेहतरीन ओपनर के तौर पर रही है. गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम की दिशा बदल गई थी. सहवाग, युवराज और धोनी जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देकर सौरव गांगुली ने भारत में क्रिकेट की एक मजबूत टीम की नींव रखी थी. क्रिकेट की दुनिया में उनके तमाम किस्से मशहूर हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि सौरव गांगुली क्रिकेटर नहीं, फुटबॉलर बनना चाहते थे. फिर कैसे उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा, आइए आपको बताते हैं उनके जीवन के कुछ दिलचस्प किस्से.
पिता को जाता है क्रिकेटर बनाने का श्रेय
'दादा' के नाम से मशहूर गांगुली ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वो बचपन में फुटबॉल के दीवाने थे. उन्हें फुटबॉल खेलना बहुत अच्छा लगता था और वो बड़े होकर भी फुटबॉलर बनना चाहते थे. दसवीं तक उन्होंने फुटबॉल ही खेला. लेकिन सौरव गांगुली बहुत शरारती थे. उनकी शरारतों की वजह से उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट एकेडमी में डाल दिया. गांगुली के पिता उस समय पश्चिम बंगाल क्रिकेट संघ में थे. धीरे-धीरे गांगुली फुटबॉल से दूर हो गए.
मुश्किल समय में संभाली क्रिकेट की कमान
साल 2000 में जब भारतीय क्रिकेट में फिक्सिंग का खुलासा हुआ तब लोगों का दिल काफी टूटा था. क्रिकेट से लोगों का विश्वास उठने लगा था. उस समय सचिन तेंदुलकर ने टीम की कप्तानी करने करने से इनकार कर दिया. उस समय वो दादा ही थे जिन्होंने टीम इंडिया की कमान संभाली और भारतीय टीम का एक नया अध्याय शुरू हुआ. उस समय गांगुली की कप्तानी में विरोधी टीमों को उनके घरों में मात देकर भारतीय टीम एक बार फिर से लोगों के दिलों में अपनी जगह को मजबूत किया.
एक गलती की वजह से छिनी कप्तानी
भारतीय टीम में गांगुली की मेहनत ने उनकी जगह को इतना मजबूत कर दिया था, कि उस जगह को कोई हिलाने वाला नहीं था. लेकिन उनकी एक भूल की वजह से उन्हें बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा. वो भूल थी ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनाना. ये बात साल 2004 की है, जब भारतीय टीम में जॉन राइट के बाद नए कोच की तलाश हुई थी. उस समय गांगुली ने ग्रेग चैपल का समर्थन किया.
जबकि भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर और ग्रेग चैपल के भाई इयान चैपल ने गांगुली को ग्रेग चैपल का समर्थन न करने के लिए समझाया था. गांगुली ने उस समय किसी की बात नहीं सुनी. जब ग्रेग चैपल टीम के कोच बन गए, तब खिलाडि़यों और कोच के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया. काफी उठा पटक के बाद न सिर्फ ग्रेग चैपल बल्कि दादा पर भी गाज गिरी. इसके बाद गांगुली से उनकी कप्तानी छीन ली गई. गांगुली ने अपनी किताब 'ए सेंचुरी इज नॉट इनफ' में गांगुली ने ग्रेग चैपल वाले अध्याय को विस्तार से लिखा हैं.