ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निक रीड ने आरोप लगाया है कि भारत में पिछले दो साल में दूरसंचार नियमन से जुड़े जो भी नियम बने हैं वह रिलायंस जियो को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों के खिलाफ हैं. वोडाफोन, भारत में आदित्य बिड़ला समूह (आइडिया) के साथ मिलकर वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के रूप में परिचालन कर रही है. रीड ने कहा कि भारत में उसका कारोबार बेहद बुरे दौर से गुजरा है. लेकिन अब कंपनी की स्थिति ठीक है और वह नेटवर्क पर निवेश करने की योजना लेकर चल रही है. साथ ही कंपनी अपनी परिसंपत्तियों को बेच भी सकती है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मोबाइल सेवाओं की दरें सबसे निचले स्तर पर

भारत में दूरसंचार नियमन और नीति पर एक सवाल के जवाब में रीड ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि नियमों के संदर्भ में हमने समान स्तर की बात की है. पिछले दो साल में कई ऐसे नियम बने हैं जो जियो को छोड़कर बाजार में बाकी सबके खिलाफ हैं. हमने यह बात स्पष्ट तौर पर रखी है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में अभी मोबाइल सेवाओं की दरें सबसे निचले स्तर पर हैं और यह ज्यादा दिन चलने वाली स्थिति नहीं है.

कंपनियां के सामने नकदी की कमी

रीड ने कहा,‘‘ बाजार की तीनों प्रमुख कंपनियां नकदी की कमी से जुझ रही हैं. अभी दुनियाभर में भारत में कीमतें सबसे कम हैं. यहां ग्राहक औसतन 12 जीबी इंटरनेट का उपयोग उस कीमत पर कर रहे हैं जो कहीं भी दिखाई नहीं देती है. अंत में कीमतें चढ़ेंगी, हालांकि यह बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेंगी लेकिन इनमें थोड़ा सुधार होगा.’’ वोडाफोन आइडिया ने 35 रुपये का न्यूनतम टैरिफ रखा है. इससे कंपनी की प्रति उपयोक्ता औसत आय तिमाही आधार पर डेढ़ प्रतिशत बढ़कर 89 रुपये हो गई है.

 

फाइल फोटो - रॉयटर्स

दिसंबर 2018 के अंत तक वोडाफोन आइडिया पर कुल ऋण 1,23,660 करोड़ रुपये था. रीड ने कहा कि मौजूदा समय में बाजार में भारी छूट का दौर है. हम बेहतरीन 4जी सेवा उपलब्ध करा रहे है. 5जी सेवा को पेश करने के लिए यह बहुत जल्दबाजी होगी.

(इनपुट एजेंसी से)