Low-battery Anxiety: स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकि स्मार्टफोन से आज की डेट में लगभग हर काम करना पॉसिबल है. चाहे वो ऑफिस का हो या फिर पर्सनल काम, सब फोन पर ही हो जाते हैं. लेकिन फोन यूज करते-करते उसकी बैटरी का भी लोगों को ध्यान रखना पड़ता है. बैटरी कम हुई नहीं...कि टेंशन बढ़ गई. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 70% स्मार्टफोन यूजर्स ऐसे हैं, जिनके फोन की Low Battery होती है, तो एंग्जाइटी होने लगती है. आइए जानते हैं क्या है माजरा.

72% यूजर्स को होती है 'Low Battery एंग्जाइटी'

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बता दें, काउंटरप्वाइंट रिसर्च के मुताबिक, देश में 65% स्मार्टफोन यूजर्स हैं, जिन्हें बैटरी खर्च हो जाने पर बेचेनी सी होने लगती है. इसके अलावा 72% ऐसे यूजर्स हैं, जो फोन की 20% या उससे कम बैटरी हो जाने पर एंग्जाइटी फील करते हैं.

रोजाना एंग्जाइटी से जूझना पड़ता है

काउंटरप्वाइंट रिसर्च ने सर्वे ये समझने के लिए शुरू किया, ताकि वो पहचान सके कि लोगों को कम बैटरी के दौर से कैसे गुजरना पड़ता है. रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ कि लो बैटरी एंग्जाइटी लोगों की जिंदगी में रोजाना होती है. साथ ही ये भी पता लगा कि लोगों को लो बैटरी एंग्जाइटी से कैसे जूझना पड़ता है.

इन 6 कैटेगिरी से जूझते हैं यूजर्स

स्टडी में खुलासा हुआ कि लोगों को Low Battery Anxiety 6 तरह की होती है- (1) Worried/Anxious (2) Disconnected (3) Helpless (4) Fear of missing out (FOMO) (5) Nervous (6) Unsafe. कुछ यूजर्स 28% बैटरी हो जाने पर घबराते और बेचेन होने लगते हैं. वहीं 10 में 9 यूजर्स को 30% से 50% बैटरी लेवल पर एंग्जाइटी होने लगती है.

कब-कब इस्तेमाल करते हैं फोन को?

40% यूजर्स अपने फोन को सुबह के समय में यूज करते हैं, जब वो सोकर उठते हैं. वहीं आखिरी में तब जब वो सोने जाते हैं.

42% .यूजर्स अपने स्मार्टफोन को एंटरटेनमेंट और सोशल कनेक्ट के लिए इस्तेमाल करते हैं.

87% यूजर्स चार्जिंग के समय यूज करते हैं या फिर फैमिली के साथ बैठते समय और ऑफिस/पढ़ाई करते समय.

रिजल्ट के अनुसार, ज्यादातर लोग दिन में कई बार फोन चार्ज करते हैं और 46% दिन में दो बार.

Low Battery Anxiety पर रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक का कहना है कि हम अपने सभी काम को स्मार्टफोन के जरिए पॉकेट में रखते हैं. चाहें फिर वो एंटरटेनमेंट पर्पस से हो या फिर ऑफिशियल काम के लिए, हमारे स्मार्टफोन में सबकुछ मिलता है. रिजल्ट में ये सामने आया कि लोग अगर स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें फोबिया होने लगता है.

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