अगर आपका स्‍मार्टफोन पीक आवर में स्‍लो हो जाता है तो इसकी बहुत बड़ी वजह इसकी रेंज और इसमें इस्‍तेमाल की गई तकनीक है. एक अध्‍ययन में यह तथ्‍य सामने आया है कि लो-मिड रेंज के स्‍मार्टफोन महंगे और बेहतर तकनीक वाले फोन के मुकाबले ज्‍यादा स्‍लो होते हैं. एक जैसे नेटवर्क पर वह हाई एंड फोन के बराबर बेहतर ढंग से काम नहीं कर पाते. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस अध्‍ययन में भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन के प्रदर्शन के ऑपरेशनल वैरिएंसेज (असमानताओं का स्तर) चेक किए गए, जिसके आंकड़े चौकाने वाले हैं. यह वैश्विक स्तर से कहीं अधिक है. इससे न केवल ग्राहकों को खराब अनुभव होता है बल्कि इससे 2020 तक इंटरनेट अर्थव्यवस्था को 30 अरब डॉलर का नुकसान भी हो सकता है.

ब्राडबैंड इंडिया फोरम (Broadband India Forum) ने लेखा-परीक्षा और विश्लेषण कंपनी फिमेट्रिक्स के साथ किए अध्ययन में प्रीमियम, मिड रेंज और किफायती स्मार्टफोन के प्रदर्शन का भारत समेत विविध बाजारों में परीक्षण किया. 

भारत में ऑपरेशनल वैरिएंस 27% मिला

अध्ययन में कहा गया, ‘‘विभिन्न ब्रांडों के स्मार्टफोन का वैश्विक परिचालन में 10 प्रतिशत घट-बढ़ की असमानता पाई गई जबकि भारत में यह 27 प्रतिशत के दायरे में रहा. इसका उपभोक्ताओं के अनुभव पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है.’’ 

एक जैसे नेटवर्क पर प्रदर्शन अलग-अलग

अध्ययन में विभिन्न स्मार्टफोन के प्रदर्शन का एक जैसे नेटवर्क पर परीक्षण किया गया. अध्ययन में कहा गया, अधिकांश उपभोक्ता इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उपकरण और नेटवर्क का प्रदर्शन आपस में जुड़े होते हैं. सभी उपकरण एक जैसी नेटवर्क परिस्थितियों में एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं.

सबसे ज्‍यादा बिकने वाले ब्रांडों पर हुआ अध्‍ययन

अध्ययन में कहा गया कि परीक्षण में देश में सर्वाधिक बिकने वाले ब्रांडों को शामिल किया गया. यह परीक्षण मुख्यत: चार परिचालन दक्षताओं डाउनलोड स्पीड, अपलोड स्पीड, वीडियो बफर का समय और वेब ब्राउजिंग में विलंब के आधार पर किया जाता है.