आप घर पर पर्स भूल जाएं, गाड़ी के पेपर्स भूल जाएं, इस कड़कड़ाती सर्दी में स्वेटर या जैकेट पहनना भूल जाएं, तो आप इनके बिना भी काम चला लेंगे. लेकिन, अगर मोबाइल भूल जाएं तो उसे लेने के लिए फौरन घर लौटकर जाएंगे, क्योंकि मोबाइल फोन (Mobile phone) के बिना रहना मुश्किल है. 

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मोबाइल फोन (Mobile phone) वह लत बन चुकी है जिसके होने से जितना फायदा है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान. साइबर मीडिया रिसर्च (Cyber Media Research) ने एक सर्वे किया है, जिसमें ऐसे खुलासे हुए हैं जो आपको चौंका सकते हैं.

साल में 1800 घंटे मोबाइल के नाम

डिजिटल होती दुनिया में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी में एक ऐसी बुरी लत (smartphone addiction) की तरह शामिल हो चुका है, जिसे चाहते हुए भी नहीं छोड़ा जा सकता. और इस लत की चपेट में सबसे हम भारत के लोग सबसे आगे हैं. साइबर मीडिया रिसर्च की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, हर भारतीय साल के 1800 घंटे मोबाइल को दे रहा है.

सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल पर नजर

रिसर्च में तकरीबन आधे से ज्यादा लोगों ने माना कि उन्हें मोबाइल की इतनी बुरी लत पड़ चुकी है कि वे इसके बिना नहीं रह सकते. हर पांच में से 4 लोगों के लिए मोबाइल वो आखिरी चीज है जिसे बिस्तर में जाने से पहले देखते हैं, यही लोग सुबह उठकर सबसे पहले फोन देखते हैं.

74 फीसदी लोगों का कहना है कि सुबह उठने के आधे घंटे के अंदर ही मोबाइल देखते हैं. सर्वे में 75 फीसदी लोगों ने माना कि युवा अवस्था में ही उनके पास स्मार्टफोन आ गया था, जबकि 41 परसेंट लोगों ने माना कि हाईस्कूल पास करने से पहले ही उनके हाथ में मोबाइल फोन थमा दिया गया था.

रिश्तेदारी पर असर

साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल कहते हैं कि मोबाइल फोन की इस लत का असर लोगों के बीच रिश्तों और मेल-मिलाप भी पड़ रहा है. लोग सामाजिक सरोकारों को तवज्जो देने के बजाय मोबाइल में चिपके रहना ज्यादा पसंद करते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों की इस आदत के चलते वे अपने परिवारवालों और दोस्तों से 30 परसेंट कम मिलते हैं. रिसर्च में शामिल तीन में से एक व्यक्ति का कहना है कि जब भी वह अपने दोस्तों या परिवारवालों से मिलता है तो हर पांच मिनट पर फोन चेक करता है. इसके बिना वह नहीं रह पाता है.

घेर रही हैं तमाम बीमारियां

मोबाइल की इस लत के साइड-इफेक्ट्स भी डराने वाले हैं. सर्वे में लोगों से मोबाइल के इस्तेमाल से होने वाली तकलीफों के बारे में पूछा गया तो पता चला कि चार में से एक आदमी को मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक परेशानियां हो रही हैं. जिसमें सबसे ज्यादा आंखों पर असर पड़ा है, उनकी नजर कमजोर हुई है, आंखों में पानी आ रहा है, सिर में दर्द होता है और नींद न आने की बीमारी भी घेर रही है.

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मजे की बात ये है कि लोग जानते और मानते हैं कि मोबाइल की लत उनके लिए बुरी है और इससे कई बीमारियों होने का खतरा है, बावजूद इसके वे मोबाइल से खुद को दूर नहीं रख पाते. यानी रोग सबको पता है, इलाज कोई नहीं कराना चाहता.

- साल में 1800 घंटे मोबाइल की भेंट चढ़ जाते हैं

- औसत 5 घंटे रोज मोबाइल में बर्बाद कर रहे हैं.

- मोबाइल ने दूर किए दोस्त और रिश्तेदारों से. 

- फोन की लत ने बजाई खतरे की घंटी.

- लोग खुद इस बीमारी के मरीज बन रहे हैं.