बंद हो सकती है मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP), 31 मार्च के बाद नहीं उठा पाएंगे फायदा
अच्छे ऑफर्स, ज्यादा बिल और अनलिमिटेड डाटा के युग में बिना नंबर बदले एक कंपनी से दूसरी कंपनी पर स्विच करना आसान है.
अच्छे ऑफर्स, ज्यादा बिल और अनलिमिटेड डाटा के युग में बिना नंबर बदले एक कंपनी से दूसरी कंपनी पर स्विच करना आसान है. लेकिन, अगर यह सुविधा बंद हो जाए तो क्या होगा? टेलीकॉम कंपनियां फिर अपनी मनमानी पर उतर आएंगी. ग्राहकों को अपना नंबर बार-बार बदलना पड़ेगा. क्योंकि, बिना नंबर बदले कंपनी बदलने की सुविधा मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) बंद हो सकती है. मार्च 2019 के बाद आप अपनी टेलीकॉम कंपनी बिना नंबर बदले नहीं बदल पाएंगे. हालांकि, अभी यह सिस्टम अच्छी तरह काम कर रहा है, लेकिन जल्द ही यह सुविधा बंद की जा सकती है.
क्यों बंद होगी एमएनपी सर्विस?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी का काम करने वाली दो कंपनियां एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलीकॉम सॉल्यूशंस और सिनिवर्स टेक्नोलॉजी घाटे में चल रही हैं. कंपनियों ने पिछले साल जुलाई में टेलीकॉम विभाग (DoT) को चिट्ठी लिखकर यह जानकारी दी थी. कंपनियों का कहना है कि जनवरी 2018 के बाद से पोर्टिंग फीस में 80 फीसदी की कटौती से उन्हें रोजाना घाटा हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक, कंपनियों का कहना है कि मार्च 2019 में इन कंपनियों के लाइसेंस की अवधि खत्म हो रही है. ऐसे में यह अपनी सेवाएं बंद कर सकती हैं.
ग्राहकों को होगा नुकसान
कंपनियों के सर्विस बंद करने का नुकसान ग्राहकों को होगा. खराब कॉल क्वालिटी, बिलिंग संबंधी मसलों और टैरिफ की वजह से सर्विस प्रोवाइडर को बदलना आसान नहीं होगा. शॉर्ट टर्म में इसका कोई विकल्प नहीं होगा. हालांकि, टेलीकॉम विभाग का कहना है कि अगर कंपनियां अपना लाइसेंस रिन्यू नहीं करातीं तो उनका रिप्लेसमेंट ढूंढा जाएगा. दूसरी कंपनी को लाइसेंस देकर MNP सर्विस जारी रखी जा सकती है.
लाइसेंस सरेंडर करेंगी कंपनियां
दक्षिण और पूर्वी भारत में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी का काम देखने वाली एमएनपी इंटरकनेक्शन का कहना है कि वह अपना लाइसेंस सरेंडर करेगी. लाइसेंस सरेंडर करने के बाद कामकाज बंद कर दिया जाएगा. उत्तर और पश्चिम भारत का काम देखने वाली सिनिवर्स टेक को जबरदस्त घाटा हुआ है. ट्राई के एमएनपी चार्जेज में कटौती के आदेश से उन्हें नुकसान हुआ है. मार्च 2018 तक कंपनियों ने 37 करोड़ पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट हैंडल की हैं. नवंबर 2018 में 32 करोड़ पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट हैंडल की गई हैं.
दिसंबर में नियम किए गए आसान
TRAI ने दिसंबर 2018 में पोर्टेबिलिटी के नियमों को आसान बनाया है. अब रिक्वेस्ट जेनरेट करने के महज दो दिन में मोबाइल नंबर पोर्ट किया जा सकता है. अभी तक इसकी अवधि एक हफ्ते से ज्यादा की है. हालांकि, पूरी तरह नए सिस्टम को अपग्रेड होने में वक्त लग सकता है. नए नियम मार्च तक लागू हो सकते हैं. लेकिन, अगर मोबाइल पोर्टेबिलिटी देने वाली कंपनियां सर्विस बंद कर देंगी तो ग्राहकों के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है.
जनवरी 2018 में घटाया था चार्ज
आपको बता दें, जनवरी 2018 में TRAI ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी का चार्ज 19 रुपए से घटाकर 4 रुपए कर दिया था. जिसके बाद से कंपनियों को नंबर पोर्टेबिलिटी की वजह नुकसान उठाना पड़ा है. इन कंपनियों की आय का स्रोत सिर्फ यही चार्ज है. 2017 में रिलायंस जियो की टेलीकॉम इंडस्ट्री में एंट्री के बाद मासिक आधार पर एमएनपी की रिक्वेस्ट में चार गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
कंपनियां बंद होने से बढ़ी एमएनपी
रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलीसर्विसेज, एयरसेल और टेलीनॉर इंडिया के बंद होने से इसके ग्राहकों ने भी एमएनपी के जरिए अपना सर्विस प्रोवाइडर बदला है. टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज कंपनियां भारती एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन के लिए अपने ग्राहकों को रोकने और नए ग्राहक बनाना मुश्किल हुआ है. ऐसे में इन कंपनियों ने टैरिफ में कटौती और आकर्षक ऑफर निकालकर लुभाने की कोशिश की है. साथ ही एमएनपी प्रोसेस को काफी आसान बनाया गया है, जिससे ग्राहक आसानी से सर्विस प्रोवाइडर को स्विच कर सकें