अमेरिका समेत कई देशों के चीनी दूरसंचार कंपनी Huwaei के उपकरणों के सरकारी इस्‍तेमाल पर पाबंदी लगाने के बीच भारत में उसे 5जी नेटवर्क की टेस्टिंग की इजाजत मिल गई है. हालांकि जब सरकार ने मल्‍टीनेशनल कंपनियों को 5जी परीक्षण के लिए न्‍योता दिया था तब Huawei या जेटीई का नाम नहीं था.

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टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक Huawei ने सरकार के समक्ष ऐतराज जताया था. यह कंपनी भारत में बड़ा केंद्र स्‍थापित कर चुकी है. उसके अलावा नोकिया, एरिक्‍सन और सैमसंग को भी परीक्षण का न्‍योता दिया गया है. इन कंपनियों के परीक्षण शुरू करने के बाद भारत में 5जी सेवाएं जल्‍द उपलब्‍ध होने की उम्‍मीद जगी है.

केंद्रीय दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा कि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया अगस्त 2019 तक पूरी होगी. अरुणा सुंदरराजन ने यह भी कहा कि दूरसंचार विभाग (DoT) भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) और सरकार द्वारा स्थापित 5जी कार्यबल दोनों की सिफारिशों पर काम कर रहा है. 

उन्होंने कहा कि सबने पहले ही कहा है कि इकोसिस्टम तैयार नहीं है और यह अगले साल जुलाई-अगस्त के बाद ही तैयार होगा. उम्मीद है कि हम सारी प्रक्रियाएं तब तक पूरी कर लेंगे, ताकि स्पेक्ट्रम की नीलामी हो. सरकार को उम्मीद है कि 2020 में देश में 5जी कनेक्टिविटी शुरू होगी. 5जी कनेक्टिविटी से 1000 अरब डॉलर का आर्थिक दबाव होगा. 

क्‍या है Huawei पर आरोप

हुवावेई पर अपने उपकरणों के जरिए जासूसी का आरोप है. इस कंपनी के उपकरण कई देशों में बड़े पैमाने पर सरकारी दूरसंचार सेवाओं में इस्‍तेमाल हेा रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अपने यहां पांचवीं पीढ़ी (5जी) के दूरसंचार नेटवर्क के लिये हुवावेई टेक्नोलॉजीज लिमिटेड से उपकरण लेने पर पाबंदी लगा दी है.

इससे पहले अमेरिका और ताइवान भी इसी तरह का प्रतिबंध लगा चुके हैं. जापान की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि हुवावेई और उसकी तरह से जोखिम भरे समझने जाने वाले आपूर्तिकर्ताओं को सरकारी खरीद के लिये बोली लगाने से दूर रखा जायेगा.