Data Protection Bill: सोशल मीडिया पर देश और दुनिया के लोग काफी ज्यादा एक्टिव. कुछ यूजर्स अपने पर्सनल यूज के लिए प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ अपने ऑफिशियल काम के लिए. लेकिन इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कई फ्रॉड हो रहे हैं. इसके चलते कई लोगों के साथ धोखा हो चुका है. ऐसे में इन बढ़ती शिकायतों के चलते सरकार ने भी सभी सोशल मीडिया कंपिनयों से यूजर्स की प्राइवेसी को स्ट्रॉन्ग बनाने को कहा. इसको लेकर अब सरकार एक बार फिर पुराना कानून वापस लाकर जल्द नया Data Protection Bill ला सकती है. 

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बता दें, सरकार डिजिटल इंडिया के तर्ज पर इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए नया कानून लेकर आ रही है. नए कानून में पर्सनल शब्द का इस्तेमाल न हो, उस पर विषेश तौर पर ध्यान दिया जाएगा. इसका मतलब ये कि इस बिल के दायरे में हर तरह का डाटा आएगा.

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क्या हो सकते हैं बदलाव: Data Protection Bill

  • सोशल मीडिया पर लगाम के लिए रेगुलेटर बने, संयुक्त संसदीय समिति ने की सिफारिश
  • सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भारत में अपने ऑफिस खोलना जरूरी हो
  • वरना उन्हें ऑपरेट करने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए
  • कंपनियां भी हर ग्राहक का अकाउंट जरूरी रूप से वेरीफाई करें

बता दें संसद की ज्वाइंट कमेटी ने दोनों सदनों में इसको लेकर रिपोर्ट रखी थी. लोकसभा में बिल पेश किए जाने के लगभग 2 साल बाद रिपोर्ट आई. 30 सदस्यीय पैनल ने प्रस्तावित कानून की समीक्षा के बाद रिपोर्ट दी. इस बीच JPC को 1 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट जमा करनी थी. JPC ने मौजूदा विंटर सेशन के आखिरी हफ्ते तक के लिए एक्सटेंशन मांगा था. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में गैर-व्यक्तिगत डाटा और इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर द्वारा जुटाए जाने वाले डाटा को भी शामिल किया जाए. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी इसमें शामिल करने का सुझाव रखा गया है.

डेटा लीक करना कंपनी पर पड़ेगा भारी

दरअसल सोशल मीडिया पर धोखाधड़ी के चलते यूजर्स का पर्सनल डाटा लीक हो रहा था. संसदीय समीति ने डेटा लीक को रोकने के लिए कानून में कई तरह के प्रावधानों की सिफारिश की है. अगर डेटा उल्लंघन किया गया यानी अगर डेटा लीक हुआ, तो कंपनियों पर फिर से 15 करोड़ रुपए तक का जुर्माना या फिर कंपनी से जुर्माने के तौर पर टर्न ओवर की 4% रकम ले ली जाएगी. वहीं कंपनियों को छोटे उल्लंघनों के लिए 5 करोड़ रुपये या फिर ग्लोबल टर्न ओवर की 2 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी. डेटा लीक को लेकर कंपनी को उल्लंघन के बारे में 72 घंटों के भीतर बताना होगा. 

भारतीय डाटा को नहीं भेज पाएंगे विदेश

इसके अलावा विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय डाटा को विदेश नहीं भेज पाएंगे. विधेयक में ‘डाटा भंग’ शब्द को परिभाषित किया जाना चाहिए. ग्राहक की स्पष्ट सहमति से केवल उस डाटा को कलेक्ट किया जा सकता है, जो एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए जरूरी है. डाटा प्रोटेक्शन ऑथिरिटी ऑफ इंडिया (Data Protection Authority of India) जैसी ऑथिरिटी बनाने की सिफारिश है. किसी भी अपील और निपटाने के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल (Appellate Tribunal) की सलाह लेनी होगी.