वैज्ञानिकों को पहली बार एक बड़ी कामयाबी मिली है, जिसके तहत अब सोलर पैलन में महंगी धातुओं की जगह ऑयरन मॉलेक्युल्स को इस्तेमाल किया जा सकेगा. लोहा आसानी से उपलब्ध है, इसलिए सोलर पैनल की कीमतों में भारी कमी आने की उम्मीद है. इससे लोगों को सस्ती और स्वच्छ बिजली मिलने का रास्ता साफ हो सकेगा.

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शोध जर्नल 'साइंस' में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक शोधकर्ता ऐसे ऑयरन मॉलेक्युल्स तैयार करने में कामयाब हुए हैं, जो ईंधन पैदा करने के लिए फोटोकैटालिस्ट की तरह काम करते हैं और सोलर सेल से बिजली पैदा कर सकते हैं. शोध के नतीजों के मुताबिक ये ऑयरन मॉलेक्युल्स आज इस्तेमाल की जा रही महंगी और दुर्लभ धातुओं की जगह ले सकते हैं. इससे सोलर पैनल की कीमतों में बहुत अधिक कमी आएगी.

सच हुआ सपना

सोलर पैनल में इन मेटल का काम सूरज की रोशनी को सोखना और उनकी ऊर्जा को उपयोग लायक बनाना है. इस समय इसके लिए रूटेनियम, ओसमियम और इरिडियम जैसी दुर्लभ और महंगी धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है. शोध में शामिल कैमिस्ट्री के प्रोफेसर केनेथ वर्नमार्क ने बताया, 'हमारे परिणाम बताते हैं कि एडवांस मॉलेक्युल्स डिजाइन का इस्तेमाल करके ये संभव है कि दुर्लभ धातुओं को लोहे से रिप्लेस कर दिया जाए. लोहा धरती पर आसानी से मिलता है, और इसलिए सस्ता है.'

केनेथ अपने साथियों के साथ लंबे समय से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, ताकि महंगी धातुओं के विकल्प को खोजा जा सके. उन्होंने लोहे पर इसलिए फोकस किया क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध है. उन्हें इस शोध को पूरा करने में पांच साल का समय लगा, हालांकि शुरुआत में उन्हें लग रहा था कि इसमें 10 साल का समय लगेगा. इस तरह उन्होंने ये शोध अपने तय समय से काफी पहले पूरा कर लिया.