Cyberbullying: क्या इंटरनेट की दुनिया छीन रही है बचपन? इन बातों को अनदेखा तो नहीं कर रहे हैं आप- जरूर पढ़ें
Online Cyberbullying: बच्चें इंटरनेट पर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में अगर आपके घर, रिश्तेदार या दोस्ती में बच्चें हैं और वो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो नीचे बताई गई टिप्स उनको जरूर दें.
Online Cyberbullying: आजकल इंटरनेट की दुनिया काफी बड़ी हो गई है. इस पर बच्चे से लेकर बड़े अपना कीमती वक्त बिताते हैं. लेकिन क्या आपको पता है इंटरनेट जितना मददगार है, उतना ही इन दिनों खतरनाक होता जा रहा है. बच्चें इंटरनेट पर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में अगर आपके घर, रिश्तेदार या दोस्ती में बच्चें हैं और वो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो नीचे बताई गई टिप्स उनको जरूर दें और साथ ही आप भी फॉलों करें. आइए जानते हैं वो टिप्स.
बच्चों को डरा-धमका रहे हैं साइबर फ्रॉड
इंटरनेट की मदद से एक तरफ दुनिया वैश्विक गांव बन चुकी है तो दूसरी तरफ साइबरबुलिंग जैसे खतरों के कारण बचपन दांव पर लग गया है. ऑनलाइन क्राइम काफी तेजी से बढ़ रहा है, जहां बच्चों को डराने-धमकाने जैसी एक्टिविटीज हो रही हैं. बच्चों की एजुकेशन और हेल्थ पर फोकस और काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था Unicef ने Cyberbullying से बचने के लिए 11 टिप्स शेयक की हैं.
Unicef ने बताई वजह
Unicef ने साइबरबुकिंग से फाइट करने के लिए फेसबकु, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटॉक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ काम किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा, मैसेजिंग और गेमिंग प्लेटफॉर्म यूजर्स पर भी साइबरबुलिंग का खतरा है. साइबरबुलिंग करने वाले ये अपराधी मासूम यूजर्स को डराने, शर्मिंदा करने या गुस्से और आवेश में कोई गलत काम करने के लिए उकसाते हैं.
राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर करें संपर्क
अगर आप साइबरबुलिंग से बचना चाहते हैं तो आप यूनिसेफ के मुताबिक साइबरबुलिंग से बचने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर संपर्क कर मनोवैज्ञानिक और काउंसलर जैसे पेशेवरों की मदद भी मांगी जा सकती है.
नीचे दिए गए सभी सवालों का जवाब Unicef ने अपनी ऑफिशियल साइट्स पर दिए हैं.
1. क्या Cyber यानी Internet माध्यमों का यूज करके ऑनलाइन धमकाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
2. किसी के साथ मजाक और धमकी के बीच का अंतर कैसे समझें?
3. साइबरबुलिंग बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है?
4. अगर कोई Online धमाकी दे रहा है तो उससे कैसे छुटकारा पाया जाए? ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग क्यों जरूरी है.?
ऐसे ही कई सवाल हैं, जिनके जवाब Unicef ने अपनी ऑफिशियल साइट पर दिए हैं.