नो योर कस्टमर यानी KYC को लेकर नई उलझन सामने आ सकती है. देशभर के 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर बंद किए जा सकते हैं. यह तकरीबन भारत में मोबाइल इस्तेमाल करने वाली आधी आबादी के बराबर है. दरअसल, यह खतरा सिर्फ ऐसे सिम कार्ड्स पर है, जो आधार बेस्ड केवाईसी के जरिए शुरू किए गए थे. ऐसे सिम कार्ड पर कोई दूसरी अॉथेंटिकेशन नहीं होने के चलते इन्हें बंद किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे में उपभोक्ताओं को नई केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना होगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नए सिरे से होगा केवाईसी प्रक्रिया

आधार वेरिफिकेशन के जरिए लिए गए इन सिम कार्ड को अगर किसी दूसरे आइडेंटिफिकेशन प्रक्रिया का बैकअप नहीं मिला, तो ये डिसकनेक्ट हो जाएंगे. यह समस्या सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आई है, जिसमें कोर्ट ने किसी निजी कंपनी को किसी व्यक्ति के यूनिक आईडी का इस्तेमाल के लिए करने पर रोक लगाई है. कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि टेलीकॉम कंपनियों को नए सिरे से केवाईसी प्रक्रिया पूरा करने की मोहलत देगी.

दूसरे विकल्पों पर विचार

बुधवार को टेलीकॉम सेक्रेटरी अरुण सुंदरराजन ने इस मामले में टेलीकॉम कंपनियों से मुलाकात की और ऑथेंटिकेशन के किसी दूसरे विकल्पों पर भी चर्चा की. टेलीकॉम डिपार्टमेंट भी इस मुद्दे पर UIDAI से बातचीत कर रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक,अरुण सुंदरराजन ने बताया कि सरकार भी इस मामले को लेकर काफी गंभीर है. सरकार जल्द से जल्द इस मसले का हल निकालना चाहती है. सुंदरराजन ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार चाहती है कि इस समस्या की वजह से उपभोक्ता को नई प्रक्रिया के दौरान परेशानी नहीं होनी चाहिए. सुंदरराजन के मुताबिक, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सरल तरीके से इसे निपटाया जा सके, जिससे उपभोक्ताओं को कम से कम समस्या हो.

सबसे ज्यादा खतरे में जियो उपभोक्ता

आधार बेस्ड केवाईसी के बंद होने का सबसे ज्यादा असर जियो उपभोक्ताओं को होगा. दरअसल, 2016 में अपनी सेवाओं की शुरुआत करने वाली जियो ने सिर्फ आधार के जरिए केवाईसी प्रक्रिया को अपनाया था. अब नई प्रक्रिया के तहत केवाईसी कराने से उपभोक्ता प्रभावित होंगे. रिलायंस जियो का पूरा डेटाबेस और ऑपरेशन नेटवर्क बायोमिट्रिक पहचान पर आधारित है. जियो ने बुधवार को घोषित अपने तिमाही नतीजों में बताया कि सितंबर 2018 तक जियो के पास 25 करोड़ यूजर्स हैं. 

पुराने उपभोक्ता पर भी खतरा

जियो के अलावा दूसरी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने भी आधार बेस्ड केवाईसी के जरिए नंबर बांटे थे. ऐसे में इन उपभोक्ताओं को भी खतरा है. इसमें भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल शामिल हैं. इसके अलावा पुराने उपभोक्ताओं के नंबर पर भी खतरा है, जिनके पहले पहचान पत्रों को टेलीकॉम कंपनियों ने अपने डाटाबेस से हटा दिया था. इन सभी उपभोक्ताओं को आधार बेस्ड डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया था. टेलीकॉम कंपनियों को सरकार ने पिछले साल मार्च में पुराने दस्तावेज हटाने का निर्देश दिया था.

टेलीकॉम मंत्रालय लेगा फैसला

एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी ने बताया कि कंपनियां इस मामले में टेलीकॉम डिपार्टमेंट के निर्देश का इंतजार कर रही हैं. क्योंकि, अभी तक स्थिति साफ नहीं की गई है. UIDAI ने हम 15 अक्टूबर तक एग्जिट प्लान सौंपने को कहा था. हालांकि, इस मामले में अंतिम फैसला तभी लिया जाएगा जब टेलीकॉम मंत्रालय की तरफ से कोई साफ निर्देश मिलेगा.

नया पहचान पत्र देना होगा

सूत्रों की मानें तो अब उपभोक्ताओं को नई केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना होगा. उपभोक्ताओं को अपना नंबर चालू रखने के लिए नया पहचान पत्र देना होगा. इसमें पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आइडी कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल, गैस बिल और पैन कार्ड हो सकता है. वहीं, टेलीकॉम डिपार्टमेंट जल्द ही इस मामले में टेलीकॉम कंपनियों को नया आदेश दे सकता है.