रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है. आरबीआई ने रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट यानी 0.75 फीसदी की कटौती की है. यह आरबीआई की तरफ से अब तक की सबसे बड़ी कटौती है. रेपो रेट अब 5.15 फीसदी से घटकर 4.40 फीसदी हो गया है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई. 

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ज़ी बिज़नेस मांगा, आरबीआई ने दिया

कोरोना वायरस के संकट के चलते ज़ी बिज़नेस ने 4 मार्च 2020 को ही यह डिमांड की थी कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने एक बार फिर 11 मार्च को पूरे भरोसे के साथ कहा था कि ब्याज दरें घटानी चाहिए. उन्होंने कहा था कि इकोनॉमी की डिमांड है कि ब्याज दरें घटानी चाहिए. दुनियाभर में जो सेंट्रल बैंक कर रहे हैं वो हमें भी करना चाहिए, वो है एग्रेसिव रेट कट. अनिल सिंघवी ने कहा था कि एक बार जोर से ब्याज दरें कम कर दीजिए. सर्जरी का वक्त है, छोटे-मोटे इंजेक्शन या गोलियों से काम नहीं चलेगा. 

गवर्नर को क्या करना चाहिए

अनिल सिंघवी ने सलाह दी थी कि आरबीआई गवर्नर को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. वित्त मंत्री से बात करिए और जरूरत पड़े तो प्रधानमंत्री से भी बात करनी चाहिए कि ये मेरे हाथ में है. मैं ये कर सकता हूं. ज़ी बिज़नेस की इस डिमांड को देखते हुए RBI ने शुक्रवार की पॉलिसी में रेट कट का ऐलान किया. वो भी उतना ही रेट कट जितना अनिल सिंघवी ने मांगा था. बता दें, इससे पहले दो मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को लेकर कोई फैसला नहीं लिया था. 

सुनिए क्या की थी ज़ी बिज़नेस ने डिमांड

तय समय से पहले हुई मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक

ज़ी बिज़नेस की मांग को देखते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने तय समय से पहले ही कमिटी बैठक बुलाई और रेट कट का ऐलान किया. शक्तिकांता दास ने कहा वित्तीय स्थितरता के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. Covid 19 को देखते हुए आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक तय समय से पहले की गई. 31 मार्च से 3 अप्रैल को होने वाली बैठक को 24, 26 और 27 अप्रैल को किया गया. मॉनिटरी पॉलिसी के 6 में से 4 सदस्यों ने ब्याज दरें घटाने के पक्ष में वोट किया. 

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आरबीआई गवर्नर की बड़ी बातें

  • रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती.
  • रिवर्स रेपो रेट में 0.90 फीसदी की कटौती.
  • कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 1 फीसदी की कटौती.
  • वित्तीय मोर्चे पर मौजूदा स्थिति में मजबूत कदम उठाने होंगे.
  • फाइनेंशियल मार्केट पर फिलहाल काफी दबाव है.
  • लॉकडाउन के कारण GDP में गिरावट का अनुमान है.
  • घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. 
  • पिछले MPC बैठक से अबतक मार्केट में ₹2.8 लाख करोड़ की लिक्विडिटी डाली गई.
  • भारत की मैक्रो इकोनॉमी 2008 के मुकाबले काफी मजबूत.
  • बैंक, NBFCs को टर्म लोन पर 3 महीने की मोहलत.
  • वर्किंग कैपिटल पर ब्याज भुगतान फिलहाल टाला.
  • बैंकों में डिपॉजिटर्स का पैसा पूरी तरह सुरक्षित.
  • ग्राहक बैंकों से पैसा निकालने को लेकर पैनिक न करें.
  • ग्राहकों से अपील है कि डिजिटल सर्विस का इस्तेमाल करें.
  • मार्जिन स्टैंडिंग फैसिलिटी कैप 2% से बढ़कर 3% की.