Market Outlook: जियोपॉलिटिकल टेंशन, फेड का फैसला और बेकाबू महंगाई के चलते बाजार जिस माहौल में है, उसमें डर लगना स्‍वाभाविक है. ऐसे में अब मार्केट में क्‍या करना चाहिए. बाजार से निकल जाना चाहिए या पैसे लगाने चाहिए. बाजार से जुड़े इन तमाम पहलुओं पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने क्‍वांट म्‍यूचुअल फंड के CEO & CIO संदीप टंडन से बातचीत की. 

बाजार के दिशा

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संदीप टंडन का कहना है, हम मौजूदा माहौल में बाजार को दो तरीके से देखेंगे. एक तो बिग पिक्‍चर समझते हैं. स्‍ट्रक्‍चर बुल रन की बात करें, तो निश्चित रूप से ग्‍लोबल मार्केट के मैक्रो इंडिकेटर्स काफी चुनौतीपूर्ण हैं. आगे भी वह चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं. यह नियर टर्म के लिहाज से नहीं है, बल्कि अगले कई सालों के हिसाब से है. हम लोग 2019 से बात कर रहे हैं कि 2020 से 2030 के बीच में काफी वॉलेटिलिटी बहुत ज्‍यादा रहने वाली है. और इसमें ब्‍याज दरें और महंगाई डेवलप मार्केट के लिए उच्‍च स्‍तर पर रहने वाले हैं. यह लॉन्‍ग टर्म का आकलन है. लेकिन, जब हम नियर टर्म और मीडियम टर्म की बात करें, तो एक अप्रत्‍याशित निराशा डेवलप हो गई है. 

मौजूदा माहौल में फीयर इंडेक्‍स की बात करें, मार्च 2020 के बाद से सबसे बड़ा लेवल पर आ गया है. अगर हम इसको स्‍टॉक और इंडेक्‍स के बीच कम्‍पोनेंट में बांटकर देखें, तो इंडेक्‍स में फीयर स्‍पाइक नहीं हुआ है, लेकिन स्‍टॉक्‍स में अलग ढंग का डर पैदा हुआ है. काफी स्‍टॉक्‍स में फीयर इंडेक्‍स 2020 के भी उपर है. वो एक साफतौर पर संकेत है कि किस तरह की निराशा आती है. मार्केट में जब भी इस तरह का निराशा बनती है, तो एक अप्रत्‍याशित अवसर बनता है.

भारत के लिए क्रूड का लेवल अहम

संदीप टंडन का कहना है, मौजूदा माहौल में नियर टर्म का माहौल देखें, तो बिटक्‍वाइन जैसे रिस्‍क प्रोफाइल वाले ऑप्‍शन में काफी गिरावट है. इसमें 53 फीसदी से 70 फीसदी की गिरावट देखी है. करीब 2 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा का नुकसान हुआ है. अब यह बॉटम आउट हो रहा है. 

जब भी हम अनिश्चितता के लिहाज से बात करें, तो भारत के नजरिए से सबसे बड़ा फैक्‍टर क्रूड है. क्रूड का हम डाटा प्‍वाइंट देखें, तो अभी भी क्रूड टॉप पर नहीं पहुंचा है. वो एक रिस्‍क फैक्‍टर है. अगर क्रूड में उठापटक है, तो रुपया में भी तरह का उतार-चढ़ाव होता है. क्रूड का ही एक फैक्‍टर है, जो भारत के फेवर में नहीं आता है. लेकिन, जब भी अगले 2-3 महीने में स्‍पाइक होगा और उसके बाद जो करेक्‍शन आएगा वो काफी डीप होगा. 

अगस्‍त तक महंगाई पड़ सकती है नरम 

संदीप टंडन का कहना है, मार्केट हमेशा कुछ महीने, कुछ र्क्‍वाटर एडवांस में होता है. बड़े नजरिए से देखें, तो आज भी जो महंगाई का नेरेटिव है, वो भी अगस्‍त आखिर आते-आते सैटल हो जाएगा. जिस तरह कमोडिटी प्राइस में करेक्‍शन आ है, तब तक हो सकता है क्रूड में भी करेक्‍शन हो जाए. ग्‍लोबली जो लॉजिस्टिक चैलेंज हैं, वो खत्‍म होते दिख रहे हैं. चीन के मार्केट में जो दिक्‍कतें थीं, वो भी सैटल होती दिख रही हैं. ऐसे में महंगाई को लेकर जिस तरह आकलन है वो कहीं न कहीं पिक आउट होगा. उसको देखते हुए मार्केट में एक अच्‍छी अपॉर्च्‍युनिटी है. अगर हम लॉन्‍ग टर्म की बात करें और मीडियम टर्म की बात करें, तो भारत में एक यूनिक अवसर दिखता है. यहां से एक अपमूव मिलने की उम्‍मीद है. साइक्लिक अपफ्रंट का माहौल तैयार हो रहा है.

पहले कहां करें खरीदारी 

संदीप टंडन का कहना है, हमेशा एक अप्रोच रहता है कि पहले लॉर्ज कैप स्‍पाइक देता है. लेकिन इस बार हम देखें तो पिछले कुछ हफ्तों में जिस तरह का मूव बना है, उसमें मिड और स्‍माल कैप में भी स्‍पाइक देखने को मिला है. मेरा मानना है कि खरीदारी एक अनुपात में करनी चाहिए. अगर 50 फीसदी लॉर्ज कैप लें, तो 30 फीसदी मिडकैप लें और 20 फीसदी स्‍मालकैप लें. हर आदमी का अपना रिस्‍क प्रोफाइल होता है, उसी के अनुपात में स्‍टॉक लें.