किस आधार पर होती है Credit Rating? क्यों और कैसे घटी अमेरिका की रेटिंग? Anil Singhvi से समझिए
रेटिंग एजेंसी FITCH ने अमेरिका पर डाउनग्रेड कर दिया. इसके बाद ग्लोबल स्टॉक मार्केट में भारी बिकवाली देखने को मिल रही. डॉलर इंडेक्स, बॉन्ड यील्ड समेत बुलियन मार्केट में भी भारी एक्शन है.
Credit Rating: दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अमेरिका पर आई FITCH की रेटिंग ने फाइनेंशियल मार्केट में हलचल मचा दी है. रेटिंग एजेंसी ने अमेरिका पर डाउनग्रेड कर दिया. इसके बाद ग्लोबल स्टॉक मार्केट में भारी बिकवाली देखने को मिल रही. डॉलर इंडेक्स, बॉन्ड यील्ड समेत बुलियन मार्केट में भी भारी एक्शन है. ऐसे में हमें यह समझना जरूरी है कि आखिर क्रेडिट रेटिंग होती क्या है? इसे किस आधार पर दी जाती है? किसी भी इकोनॉमी के लिए क्रेडिट रेटिंग इतना अहम क्यों है? और अमेरिका पर फिच की रेटिंग के बाद आगे क्या? इसी तरह कई सवालों को आसान भाषा में समझाने के लिए मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने क्रेडिट रेटिंग और उससे जुड़े लगभग सभी पहलुओं का एनलिसिस किया है....
क्रेडिट रेटिंग क्या है?
पूंजी जुटाने के लिए देश और कंपनियां बॉन्ड जारी करती हैं
बॉन्ड्स को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां रेटिंग देती हैं
देश की वित्तीय सेहत के आधार पर क्रेडिट रेटिंग दी जाती है
क्रेडिट रेटिंग किसी देश को कर्ज देने में होने वाले जोखिम को दर्शाती है
क्रेडिट रेटिंग जितनी अधिक, उन्हें उधारी देने का जोखिम उतना ही कम
किस तरह की रेटिंग दी जाती है?
S&P, फिच और मूडीज, 3 मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां
'AAA' से लेकर 'D' तक रेटिंग दी जाती है
'AAA' सबसे अच्छी रेटिंग, सबसे ज्यादा जोखिम वाली 'D' का मतलब डिफॉल्ट
रेटिंग के साथ आउटलुक का मतलब आगे रेटिंग में बदलाव के संकेत
देश की क्रेडिट रेटिंग का आधार क्या?
मैक्रो इकोनॉमिक फंडामेंटल
राजकोषीय घाटा और सरकारी खर्च
राजस्व और व्यय
मौजूदा कर्ज, पिछला पेमेंट और डिफॉल्ट
बाजार के साथ इकोनॉमिक आउटलुक
क्रेडिट रेटिंग क्यों महत्वपूर्ण है?
पूंजी जुटाने के लिए क्रेडिट रेटिंग जरूरी
ऊंची क्रेडिट रेटिंग का मतलब है कर्ज पर कम ब्याज
बड़े फंड, पेंशन फंड, सरकारें, बैंक और HNI को ऊंची रेटिंग वाले बॉन्ड पसंद
'AAA' रेटिंग वाले बॉन्ड में सबसे ज्यादा लिक्विडिटी, ट्रेडिंग में आसान
US को क्यों किया गया डाउनग्रेड?
फिच के 3 मुख्य कारण
1- कर्ज सीमा पर विवाद और सरकार के कामकाज पर असर
2- राजकोषीय घाटे में तेज बढ़त
3- 2023 के अंत तक मंदी की आशंका
US के लिए डाउनग्रेड के मायने क्या?
सरकारी बॉन्ड से बड़े फंड पैसा निकाल सकते हैं
कई फंडों को सिर्फ 'AAA' पेपर में ही निवेश का आदेश
भविष्य में अमेरिकी बॉन्ड में निवेश पर असर की आशंका
दुनिया में सबसे अधिक US बॉन्ड में कारोबार होता है
US डाउनग्रेड का असर बाजारों पर कितना?
रेटिंग में गिरावट से अमेरिका की वित्तीय साख पर असर
डेट मार्केट पर ज्यादा असर की आशंका
शेयर बाजारों के रुझान पर भी असर की आशंका
कुछ फंड अपने निवेश को एडजस्ट कर सकते हैं
कर्ज सीमा क्या है?
दूसरे देशों की तरह अमेरिका भी आय से ज्यादा खर्च करता है
अंतर को पूरा करने के लिए US सरकार बॉन्ड के जरिए उधार लेती है
US सरकार जितना उधार ले सकती है, वही उसकी कर्ज सीमा है
कोरोना के बाद US में कर्ज सीमा दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर $31 ट्रिलियन
जून 2025 तक कर्ज सीमा $31 ट्रिलियन के आसपास रहने की संभावना
अमेरिका में कर्ज सीमा विवाद क्यों?
ज्यादा खर्च से हर 2-3 साल में अमेरिकी सरकार को कर्ज सीमा बढ़ानी पड़ती है
कर्ज सीमा पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच राजनीतिक विवाद
1960 के बाद कर्ज सीमा 78 गुना बढ़ी, सरकारी शटडाउन भी हुए
योजनाओं को फंड की जरूरत और कटौती पर होती है चर्चा
फिच का एक्शन जल्दबाजी?
लगता है फिच ने रेटिंग डाउनग्रेड करने में की जल्दबाजी
रेटिंग घटाने के पीछे फंडामेंटल के बजाय राजनीतिक कारण ज्यादा
पिछले साल फिच ने US का आउटलुक निगेटिव से बढ़ाकर स्टेबल किया था
US GDP और आर्थिक फंडामेंटल्स मजबूत, बेरोजगारी रिकॉर्ड निचले स्तर पर
2008 के वित्तीय संकट में भी कोई डाउनग्रेड नहीं हुआ था
S&P ने 12 साल पहले किया था डाउनग्रेड, लेकिन बाकी 2 एजेंसियों ने नहीं किया
अमेरिकी ट्रेजरीज दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित
पिछली बार US डाउनग्रेड के बाद डाओ
अवधि चाल
अगले दिन -5.5%
1 महीना 4.5%
3 महीने 13%
6 महीने 19%
1 साल 22%
2 साल 43%
पिछली बार US डाउनग्रेड के बाद नैस्डैक
अवधि चाल
अगले दिन -6.9%
1 महीना 7.3%
3 महीने 16%
6 महीने 24%
1 साल 28%
2 साल 55%
भारतीय बाजारों पर कितना असर?
(2011 में जब अमेरिका हुआ था डाउनग्रेड)
अवधि निफ्टी बैंक निफ्टी
अगले दिन -1.8% -1.2%
1 महीना 0.7% -3.1%
3-महीने 3.3% -3.7%
6 महीने 4.9% 0.9%
1 साल 4.3% 2.9%
2 साल 8.7% -4.1%
भारतीय बाजारों पर कितना असर?
हमारे इक्विटी मार्केट अमेरिका के साथ घटेंगे-बढ़ेंगे
भारतीय बाजारों के लिए अलग से कोई असर नहीं
रुपया कमजोर और डॉलर मजबूत होने का अनुमान
सोने के दाम बढ़ने की संभावना
हमारे बैंक शेयरों के लिए सेंटिमेंट निगेटिव
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