अमेरिकी बाजार गुलजार, ग्लोबल बाजारों में तेजी का इंतजार! अनिल सिंघवी से समझिए पूरा गणित
अमेरिकी बाजारों में फिर भी तेजी आ रही है. मंगलवार को डाओ जोन्स 25000 के पार निकल गया. 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली.
कोरोना वायरस का असर अब दुनियाभर के शेयर बाजारों पर नहीं दिख रहा है. अमेरिका-चीन के बीच लगातार टेंशन बनी हुई है. डाटा अच्छा नहीं है. अमेरिका के लिए भी चिंता की बात है. लेकिन, अमेरिकी बाजारों में फिर भी तेजी आ रही है. मंगलवार को डाओ जोन्स 25000 के पार निकल गया. 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली. वहीं, S&P में भी 1.30 फीसदी की तेजी दिखी और इंट्राडे में 3000 प्वाइंट के ऊपर निकल गया. 5 मार्च के बाद S&P 500 पहली बार 3000 के पार निकला है. अमेरिकी बाजार तो सारे नए लेवेल्स तक पहुंच रहा है, तो अमेरिका बाजारों में जिस तरह की तेजी है, उसका ग्लोबल बाजारों पर इम्पैक्ट क्यों नहीं दिख रहा है?
अमेरिका में कंजम्पशन बढ़ाने की तैयारी
ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी के मुताबिक, अमेरिकी बाजारों में तेजी की दो बड़ी वजह है. अमेरिका सबसे बड़ी कंजम्पशन बेस्ड इकोनॉमी है. वहां इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कितनी मैन्युफैक्चरिंग हो रही है. वहां सिर्फ एक से फर्क पड़ता है कि कंजम्पशन कितना हो रहा है. डोनाल्ड ट्रंप भी यही कहते हैं कि सभी राज्यों को खुल जाना चाहिए, हमें कंजम्पशन बढ़ाने की जरूरत है. कंजम्पशन बढ़ाने के लिए जितनी लिक्विडिटी चाहिए वो देंगे. इंट्रस्ट रेट्स को शून्य या उससे नीचे भी रखेंगे. उन्हें एक ही उपाए आता है कि जितना ज्यादा कंजम्पशन बढ़ेगा उतनी इकोनॉमी मजबूत होगी. अमेरिका फिलहाल इस कंडीशन में नहीं है कि वो मैन्युफैक्चरिंग करके अपनी ग्रोथ को वापस पटरी पर लाने की सोचे.
इमोशन्स की वैल्यू कम है, पैसे की ज्यादा
अनिल सिंघवी के मुताबिक, अमेरिका में इमोशन्स की वैल्यू कम है, पैसे की ज्यादा है. कोरोना के आंकड़े जिस तेजी से वहां बढ़े हैं, फिर भी डोनाल्ड ट्रंप यह कहते हैं कि सभी राज्यों को खोल देना चाहिए तो यह बड़ी बात है. अमेरिका में साफ है कि इकोनॉमी को रफ्तार देनी है तो इसकी कीमत भी चुकानी होगी. बड़ी कीमत यही मतलब है कि कोरोना से कुछ लोगों की जान जा सकती है. सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं, बल्कि वहां के नागरिकों की भी सोच यही है.
क्या है बाजार दौड़ने की दो बड़ी वजह?
पहला- कंजम्पशन तेजी से बढ़ेगा, इसको लेकर निवेशक भी तेजी के माहौल में आ रहे हैं.
दूसरा- अच्छे सेंटीमेंट्स चाहिए, जो डोनाल्ड ट्रंप लगातार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरा उन्हें चाहिए पैसा, जो फेड की तरफ से प्रिंटिंग प्रेस दिन-रात काम कर रही है. जितने डॉलर चाहिए तो छाप रहे हैं. डाओ में अब भी 700-800 प्वाइंट ऊपर जा रहे हैं. 25500 से 25800 तक डाओ जा सकता है.
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अमेरिका-चीन विवाद
अनिल सिंघवी के मुताबिक, अमेरिकी बाजार अब कोरोना की खबरों को नजरअंदाज कर रहे हैं. चीन-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने की खबरों को भी तूल कम दे रहे हैं. हालांकि, आखिरी घंटे में बिकवाली उसी वजह से आई थी. वहीं, चीन भी मिलिट्री तैयार करके और भारत की सीमा पर भी विवाद खड़ा करके ये बताने की कोशिश कर रहा है कि आप जरूरत पड़ने पर अमेरिका के साथ खड़े न हों. दुनियाभर में कई ऐसी चीजें चल रही हैं. लेकिन, इंडेक्स के मूवमेंट और लिक्विडिटी के नीचे दबी हुई हैं. जब बाहर निकलेगी तब का तब सोचेंगे.