US-Iran tension: अमेरिका (US) और ईरान (Iran) के बीच चल रहे तनाव दुनियाभर में असर डाल सकता है. भारत (India) में भी इसका असर देखने को मिल सकता है. खास कर भारतीय कंपनियों पर इसका कितना असर होगा, इसे समझने की जरूरत है. इसका कुछ कंपनियों को फायदा भी हो सकता है किसी कंपनी को इसका नुकसान भी हो सकता है. ज़ी बिज़नेस की रिसर्च टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, जब भी खाड़ी देशों में तनाव बढ़ता है तो इसका असर क्रूड पर यानी कच्चे तेल पर पड़ता है. वैसे भारत का काफी अहम ट्रेड पार्टनर है. ईरान भारत से चावल, चीनी, अनाज, मसाला, कॉफी और मीट का आयात करता है, जबकि भारत मुख्य तौर पर ईरान से तेल का ही आयात करता है. 

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भारत-ईरान कारोबार

पिछले वित्तीय वर्ष के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो इस दौरान भारत करीब 25000 करोड़ रुपये का निर्यात करते हैं, जबकि ईरान से भारत करीब 96000 करोड़ रुपये सालाना सामान मंगाता है. इस तनाव का असर बासमती चावल एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों पर देखने को मिल सकता है. इसमें केआरबीएल (KRBL) और कोहिनूर फूड्स जैसी कंपनियां हैं. इसी तरह चाय-कॉफी वाली कंपनियों में मैक्लॉयड रसेल और जयश्री टी जैसी कंपनियों पर इसका असर देखने को मिल सकता है. माना जा रहा है कि भारत में तेल एलएनजी की सप्लाई भी रुक सकती है. 

इन्हें होगा नुकसान

बात अगर नुकसान की करें तो अगर क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और रुपये में कमजोरी हो रही है तो तेल मार्केटिंग कंपनियों की लागत बड़े पैमाने पर बढ़ेगी. ऐसे में आईओसीएल (IOCL), बीपीसीएल (BPCL)  और एचपीसीएल (HPCL) जैसी कंपनियों के लिए चिंता की बात है. इसके अलावा बाकी रिफायनरी कंपनियां जैसे एमआरपीएल, चेन्नई पेट्रोल, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों पर इसका असर देखने को मिल सकते हैं.

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सउदी अरब और ईरान को मिलाकर देखें तो इन कंपनियों की 38 प्रतिशत सप्लाई वहीं से आती है. इसलिए इन कंपनियों के लिए निगेटिव खबर है. इन सभी कंपनियों की कॉस्ट बढ़ने वाली है. इसके अलावा जिस तरह से रुपया कमजोर हो रहा है और बॉन्ड यील्ड जिस तरह से शूटअप कर रहा है, इसका सरकारी बैंक समेत दूसरे बैंकों पर भी असर देखने को मिल सकता है.