Silicon Valley Bank Crisis: बढ़ती हुई ब्याज दरें, ऊंची महंगाई के खतरे से जूझते हुए अमेरिकी बाजार, अमेरिकी की इकोनॉमी और उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. अमेरिका में एक के बाद एक दो बड़े बैंक डूब गए. पहले सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) डूबा, उसके बाद सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) पर ताला लग गया. अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से 2008 में लेहमन ब्रदर्स और सबप्राइम संकट की जिस तरह शुरुआत हुई थी, क्या वैसी शुरुआत फिर से हो रही है. ज़ी बिजनेस पर मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने SVB संकट पर MOFSL के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल से खास बातचीत की.

SVB पर क्यों लगा ताला?

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SVB संकट पर रामदेव अग्रवाल ने का कहना है कि SVB और सिग्नेचर बैंक का अनुभव अनूठा है क्योंकि बैड लोन की वजह से वे बंद नहीं हुए हैं. हमारी सोच यह है कि डूबे हुए बैड लोन के कारण बैंक धराशायी हो जाते हैं. लेकिन यहां, मामला अलग है, क्योंकि ये बैंक बैड डिपॉजिट्स के कारण बंद हो गए हैं. बैड डिपॉजिट के चलते सिलिकॉन वैली बैंक को नुकसान हुआ. कम ब्याज दरों पर लंबे वक्त के लोन से बैंक में दिक्कत हुई. हालांकि, फेड ने तुरंत एक्शन लेकर अच्छा काम किया है.

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ऐसा लगता है कि आपके बैंक में जमा राशि है और आपने वास्तविक व्यक्तियों को लोन दिया है, लेकिन इतनी लो फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर और इतने लंबे समय के लिए कि आप घाटे में चल रहे हैं. कम ब्याज वाले लोन का माहौल अमेरिका में लंबी अवधि के लिए बैंकों पर असर पड़ा है. यह संपत्ति के कुप्रबंधन का मामला है. हालांकि, यह अभूतपूर्व है और इससे कुछ सीखने को मिलता है.

अमेरिकी सरकार और फेड ने जल्द उठाए कदम

सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) के धराशायी होने के एक दिन बाद अमेरिकी प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की और फंड जमाकर्ताओं को आश्वासन दिया कि वे एसवीबी में अपने पैसे का उपयोग करने में सक्षम होंगे. फेडरल रिजर्व ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि एक अलग संस्था बैंक विफलताओं से प्रभावित संस्थानों को लोन प्रदान करेगी. अग्रवाल का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने संकट को बड़ा रूप लेने से बचा लिया. अच्छी बात यह है कि फेड ने पहले दिन ही कार्रवाई की, जबकि 2008 में जब इसी तरह का कदम उठाने में 10-15 दिन लगे. 

 

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लेकिन भारत में, बैंकों की नियामक की मूल्यांकन प्रक्रिया मजबूत है, क्षेत्र बढ़ रहा है और बैंक विदेशी संपत्ति या देनदारियों पर निर्भर नहीं हैं. ग्लोबल बिकवाली के कारण कमजोरी आ सकती है, लेकिन हमारे बैंक का इससे सीधा संबंध नहीं है और इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे. अग्रवाल का कहना है कि अमेरिका में ब्याज दर में ज्यादा उतार-चढ़ाव भी संकट का कारण बना. ब्याज दर 0% से 5% तक होती है और एसेट रिप्राइसिंग एक समस्या बन गया. यह भारतीय बाजार के मामले में नहीं है, जहां ब्याज दरें काफी हद तक स्थिर हैं.

फाइनेंशियल शेयरों में निवेश का मौका

अगर वह कहते हैं कि भारतीय बैंक अच्छी स्थिति में हैं, तो क्या वह निवेशकों को भारतीय बाजारों में पैसा लगाने की सलाह देंगे? अग्रवाल कहते हैं कि भारतीय बाजार अच्छी स्थिति में है और यह फाइनेंशियल शेयरों में निवेश करने का समय है. अमेरिका में, फाइनेंशियल स्टॉक एक क्षेत्रीय समस्या है और यह छलक सकता है. लेकिन यहां, फाइनेंशियल स्टॉक अभी भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

ग्लोबल मार्केट में रहेगी अस्थिरता

एसवीबी संकट (SVB crisis) से अमेरिकी बाजार में तेज गिरावट आई. यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में बाजार और अधिक अस्थिर हो जाएगा? उन्होंने कहा, अमेरिकी सरकार ने समस्या का एक अस्थायी समाधान किया है. लेकिन अब, अन्य बैंक आगे आकर अपनी विफलता की घोषणा कर सकते हैं. चीजें अभी भी स्थिर नहीं हैं, इसलिए ग्लोबल मार्केट कुछ समय के लिए अस्थिर रहने वाले हैं.

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शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए अच्छा समय नहीं

उन भारतीय निवेशकों को उनकी क्या सलाह है जो पहले ही बाजार में निवेश कर चुके हैं और जो निवेश करने की योजना बना रहे हैं? रामदेव अग्रवाल कहते हैं कि यह शॉर्ट टर्म के निवेशकों के लिए अच्छा समय नहीं है क्योंकि यह नो-रिटर्न फेज है. आप एक तूफान से बाहर आ रहे हैं, इसलिए स्थिरता का कोई सवाल ही नहीं है. लेकिन बाजार इस गिरावट से रिबाउंड करेगा. निवेशकों के लिए धैर्य की कुंजी है. उन्होंने आगे कहा, बाजार तेजी से बदल रहे हैं क्योंकि ग्लोबल फैक्टर्सतीन से चार महीनों में बदल रहे हैं. लेकिन निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें खुद पर विश्वास होना चाहिए.

निवेश मंत्र

रामदेव अग्रवाल ने निवेशकों को एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाने और अच्छा रिटर्न पाने के लिए कुछ समय इंतजार करने की सलाह दी. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय इंडेक्स को 1980 में 100 से 60,000 के शिखर पर छलांग लगाते हुए देखा है, लेकिन वे धैर्य के कारण बने रहे. अग्रवाल ने कहा, 43 वर्षों में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन मैं अपने विश्वास से कभी विचलित नहीं हुआ. धैर्य ने मुझे डिविडेंड (Dividends) दिया है और मैं सभी निवेशकों को ऐसा करने की सलाह देता हूं.

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