The Power of Multiple Asset Classes: घरेलू बाजारों में जिस तरह की रैली देखने को मिली है, उससे साफ है कि निवेशकों की वेल्थ में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. अब जबकि बाजार रिकॉर्ड हाई के करीब है, ऐसे में सवाल है कि क्या बाजार में अभी भी अवसर हैं. साथ ही इस तरह के माहौल में किस तरह की इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी पर आगे बढ़ना चाहिए. मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि मार्केट में निश्चत तौर पर मौके हैं लेकिन इसमें डायवर्सिफिकेशन बनाए रखने में समझदारी है. निवेशकों को पोर्टफोलियो को ज्यादा स्टेबल और ग्रोथ ओरिएंटेड बनाने पर फोकस करना चाहिए. 

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बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है, भारतीय बाजार किसी भी अन्य बाजार की तरह, निवेशकों के लिए एक डायनेमिक अवसर देता है. मार्केट के मौजूदा हालात में डायवर्सिफिकेशन अच्छी स्ट्रैटजी हो सकती है. अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश कर फ्लैक्सिबल पोर्टफोलियो बना सकते हैं और संभावित ग्रोथ के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं. 

मार्केट एक्सपर्ट अजीत गोस्वामी का कहना है, डायवर्सिफिकेशन का सीधा मतलब कि आपके पैसे को एक ही जगह नहीं लगाया जाता. बल्कि उसे अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. इससे पैसे को सेफ बनाए रखने और उसमें ग्रोथ हासिल करने तरीका है. भारत में, आप अपनी पैसे को स्टॉक, बॉन्ड, रियल एस्टेट और सोने जैसी चीजों में लगाकर ऐसा कर सकते हैं. हर एसेट क्लास अलग-अलग मार्केट कंडीशन के तहत अलग-अलग तरीके से व्यवहार करता है, जिससे स्टैबिलिटी और संभावित विकास के अवसर मिलते हैं. 

गोस्‍वामी का कहना है, सरल शब्दों में कहें तो ये निवेश अलग-अलग मूड स्विंग वाले दोस्तों के समूह की तरह काम करते हैं. इनमें कुछ तब अच्छा करते हैं जब दूसरे निराश होते हैं. इस तरह, आपका निवेश स्टेबल रहता है और आपको लंबे समय में बड़ी रकम कमाने का बेहतर मौका मिलता है.  यह भारत में उन लोगों के लिए एक बहुत अच्छी स्ट्रैटजी है जो अपनी सेविंग्स के साथ समझदारी से निवेश करना चाहते हैं. 

कहां-कहां रखें पैसे 

पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन में अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है. सभी एसेट क्लास में अपना-अपना रिस्क-रिटर्न प्रोफाइल है. भारत के संदर्भ में यहां कुछ एसेट क्लास देखते हैं. 

Equity (Stocks)

यह किसी कंपनी में ओनरशिप दर्शाता है. इसमें लंबी अवधि में ग्रोथ की जबरदस्त क्षमता रहती है. हालांकि बाजार में उठापटक के चलते जोखिम भी काफी ज्यादा रहता है. 

Fixed Income (Bonds)

सरकारों और कंपनियों की ओर से जारी किए गए डेट इन्स्ट्रूमेंट्स पर निवशेकों को मैच्योरिटी के समय प्रिसिंपल आमउंट पर अच्छा रिटर्न और रेगुलर इंटरेस्ट पेमेंट होता है. फिक्स्ड इनकम स्थिरता और आय उपलब्ध कराती है. लेकिन आमतौर पर शेयरों की तुलना में कम रिटर्न मिलता है.  

Real Estate

फिजिकल एसेट या रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) में निवेश करने से रेंटल इनकम और संभावित कैपिटल ग्रोथ मिल सकती है. हालांकि, रियल एस्टेट आम तौर पर अन्य एसेट की तुलना में कम लिक्विड (आसानी से बेचा जाने वाला) होता है. 

 

Commodities

गोल्ड, ऑयल और एग्री प्रोडक्ट जैसे रॉ मैटीरियल महंगाई और पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के खिलाफ हेजिंग की सुविधा देती है. हालांकि, कमोडिटी की कीमतें अस्थिर हो सकती हैं. 

भारतीय बाजारों के लिए क्या संकेत 

एके निगम का कहना है, भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्लोबल लेवल पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिससे इक्विटी लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए एक आकर्षक ऑप्शन बन गई है. 

वहीं, ब्याज दरों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी ने बॉन्ड जैसे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स को ज्यादा आकर्षक बना दिया है, जो संभावित रूप से हाई रिटर्न और मार्केट वॉलेटिलिट के खिलाफ एक बफर उपलब्ध करता है. हालांकि, महंगाई को लेकर चिंताएं हैं. उच्च महंगाई दर निवेश की परचेजिंग पावर को कम कर सकती है. ऐसे में रियल एस्टेट और गोल्ड जैसी एसेट्स में निवेश महंगाई के खिलाफ हेजिंग में मददगार हो सकता है. 

मिक्स एसेट क्लास के फायदे 

एक्सपर्ट का कहना है, पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन से रिस्क कम करने में मदद मिलती है. क्योंकि रिस्क अलग-अलग क्लास में बंट जाता है. वहीं, अगर किसी एक एसेट की खराब परफॉर्मेंस तो पूरे पोर्टफोलियो पर इसका असर कम होता है. भारतीय बाजारों में वॉलेटिलिटी रह सकती है. डायवर्सिफाई पोर्टफोलियो से मार्केट के उतार-चढ़ाव से निवेश को सेफ और स्टेबल रखा जा सकता है. 

उन्होंने कहा कि अपनी निवेश अवधि और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर एसेट एलोकेशन करें.  लंबी अवधि वाले युवा निवेशक हाई इक्विटी एलोकेश के साथ ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं. रिटायरमेंट के करीब पहुंचने वाले लोगों के लिए फिक्स्ड इनकम और रियल एस्टेट के जरिए आय और स्थिरता प्राथमिकता होगी.