टेलीकॉम कंपनियों को 'सुप्रीम' झटका, एक खबर से 15% तक टूट गए Voda-Idea, Indus Tower के शेयर
सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया पर अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने की टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने पहले के फैसले को बरकरार रखा, जिससे दूरसंचार कंपनियों को अपने एजीआर बकाया चुकाने की बाध्यता पर जोर दिया.
Telecom Stocks: दूरसंचार कंपनियों को गुरुवार (19 सितंबर) को 'सुप्रीम' झटका लगा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने AGR (Adjusted Gross Revenue) को लेकर क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दिया है. इस खबर के बाद टेलीकॉम स्टॉक्स में बड़ी गिरावट आने लगी. Vodafone Idea और Indus Tower जैसे शेयरों में 15% तक की गिरावट आ गई थी. Indus Tower करीब 10% की गिरावट लेकर 387 के भाव पर पहुंच गया था. कल ये 428 पर बंद हुआ था. वहीं, Vodafone Idea के भाव करीब 15% गिरकर 11.06 रुपये पर पहुंच गया था, जोकि कल 12.90 रुपये पर बंद हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया पर अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने की टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने पहले के फैसले को बरकरार रखा, जिससे दूरसंचार कंपनियों को अपने एजीआर बकाया चुकाने की बाध्यता पर जोर दिया. यह फैसला उद्योग के लिए एक झटका है, जिसने एजीआर गणना द्वारा लगाए गए भारी वित्तीय बोझ से राहत मांगी थी. यह निर्णय नियामक आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने और क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य को बनाए रखने पर न्यायालय के सख्त रुख को दिखाता है.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें क्यूरेटिव याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई के लिए लिस्ट करने का अनुरोध किया था. क्यूरेटिव या सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में अंतिम पड़ाव होती है, उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी रास्ता नहीं होता. इस पर आम तौर पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि प्रथम दृष्टया फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला नहीं बन जाता. पीठ ने 30 अगस्त को आदेश सुनाया था जो गुरुवार को सार्वजनिक किया गया.
न्यायालय ने कहा, ‘‘ सुधारात्मक याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने का आवेदन खारिज किया जाता है. हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया है. हमारा मानना है कि रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा में इस अदालत के फैसले में बताए गए मापदंडों के भीतर कोई मामला नहीं बनता है. सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं.’’ शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 अक्टूबर को कुछ दूरसंचार कंपनियों की दलीलों गौर किया था. इनमें एजीआर बकाया मुद्दे पर उनकी याचिकाओं को लिस्ट करने का अनुरोध किया गया था.
कोर्ट ने इससे पहले जुलाई 2021 में एजीआर बकाया की मांग में गलतियों को सुधारने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. टेलीकॉम कंपनियों ने अदालत का रुख कर दावा किया था कि एजीआर बकाया राशि तय करने में कई गलतियां थीं, जो कुल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक थीं.
(एजेंसी से इनपुट के साथ)