शेयर बाजार नए साल के पहले महीने में ही ऑल टाइम हाई बना. पिछले साल नवंबर के आखिर से शुरू हुई तेजी जारी है. पहली बार सेंसेक्स 73000 और निफ्टी 22000 के पार पहुंचे. हालांकि, बीच-बीच में करेक्शन भी देखने को मिल रहा. मार्केट की वॉलिटिलिटी में टेंशन बढ़ गई है कि क्या मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स से निकलने का समय आ गया है? खासकर स्मॉलकैप में बबल बन चुका है? लॉन्ग टर्म के लिए कौन बेहतर है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब के लिए ज़ी बिजनेस की मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने दिग्गज फंड मैनेजर और मैराथन ट्रेंड्स-PMS के CEO अतुल सूरी से खास बातचीत की.

क्या स्मॉलकैप में बन चुका है Bubble?

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अतुल सूरी ने बताया कि म्यूचुअल फंड्स (MF) के SIP फ्लो सबसे ज्यादा स्मॉलकैप शेयरों में है. मिड-स्मॉलकैप फंड SIP में AUM बहुत बढ़ चुके हैं. इन फंड्स में शेयरों की संख्या बढ़कर 150-200 तक हो चुकी है. जितना फ्लो आ रहा उसके लिए शेयर कम पड़ रहे हैं. दिग्गज निवेसक ने कहा कि लिक्विडिटी के दम पर आई रैली बहुत लंबी नहीं चलती है. क्योंकि लिक्विडिटी वाली रैली में गिरावट भी उतनी ही तेजी से आती है. 

क्या मिड-स्मॉलकैप से निकल जाना चाहिए?

उन्होंने कहा कि मिड-स्मॉलकैप से निकलने का समय नहीं है. बुल मार्केट में स्मॉलकैप आउटपरफॉर्म करते हैं. लार्जकैप के मुकाबले स्मॉलकैप करीब दोगुना परफॉर्म करते हैं. पिछले 20 सालों के आंकड़े देखें तो इसमें मिडकैप इंडेक्स ने सबसे ज्यादा सालाना रिटर्न दिए हैं. अतुल सूरी में कहा लॉन्ग टर्म के लिए मिडकैप बेहतर है. लॉन्ग टर्म निवेशक ऊंचा CAGR और सबसे कम Volatility को चुनें. मिड-स्मॉलकैप में अभी भी जहां अच्छे तिमाही नतीजे आएंगे वहां मौके हैं

मिड-स्मॉल बेचकर लार्जकैप में जाएं?

दिग्गज निवेशकों ने कहा कि बुल मार्केट जारी रहा तो स्मॉलकैप की आउटपरफॉर्मेंस जारी रहेगी. ये बुल मार्केट लंबा चलने वाला लग रहा है. स्मॉलकैप में एंट्री के साथ-साथ बेचने भी आना चाहिए. इसलिए स्मॉलकैप से एग्जिट प्लान नहीं कर सकते तो मिडकैप में ही रहिए. ऐसे में Volatility को देखकर तीनों कैटेगरी में मिडकैप को टॉप पर रखना ठीक होगा. क्योंकि अच्छे स्मॉलकैप शेयर ही थोड़े समय में मिडकैप बन जाते हैं.

क्या भारतीय शेयर बाजार अभी महंगा है?

उन्होंने कहा कि हर बुल मार्केट में स्मॉलकैप आउटपरफॉर्म करता है. अगर निवेशक मार्केट के करेक्शन से डरते हैं तो उन्हें मिडकैप में ही रहना चाहिए. साथ ही मार्केट में तेजी से डरना नहीं चाहिए. ऐसा नहीं है कि एक साल तेजी हुई तो अगले साल मंदी होगी. अभी तो बाजार औसत PE से नीचे हैं, इसलिए निवेशकों को डरना नहीं चाहिए. बाजार जब औसत से ऊपर पहुंचेगा तब जाकर Euphoria बनेगा. अभी हम टॉप पर नहीं हैं, शॉर्ट टर्म करेक्शन आना अच्छी बात है.

क्या कहता है मार्केट का ऐतिहासिक ट्रेंड?

अतुल सूरी ने कहा कि पिछले ट्रेंड के आधार पर हम अभी भी Bubble से बहुत दूर है. मिड-स्मॉलकैप अभी अपने औसत वैल्युएशन से सस्ते हैं. लार्ज और स्मॉलकैप के मुकाबले मिडकैप सबसे बढ़िया है. मिडकैप में रिस्क कम होने के साथ रिटर्न भी ज्यादा है. स्मॉलकैप बुल मार्केट में सबसे ज्यादा भागते हैं. स्मॉलकैप से सही समय पर एग्जिट करना बेहद जरूरी है.