Stock Market Outlook for FY24: 1 अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर (FY24) की शुरुआत हो गई है. इसके साथ ही नए ग्रोथ आंकड़ों के साथ नए ट्रिगर्स के बूते शेयर की नैया चलने वाली है. ऐसे में हमें यह जानना जरूरी है कि चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजार के लिए किन ट्रिगर्स पर बाजार की नजर रहेगी? इसके लिए बाजार के जानकारों में अपनी-अपनी राय रखी. इसके मुताबिक घरेलू और वैश्विक स्तर पर महंगाई के आंकड़े, अमेरिका में ब्याज दर, जियोपॉलिटिकल कंडिशन और 2024 में होने वाले लोकसभा के नतीजों पर मार्केट की नजर होगी, जो शेयर बाजार में कारोबार पर असर डाल सकते हैं. इसके अलावा विदेशी निवेशकों का इनवेस्टमेंट फ्लो और ग्लोबल सेंटीमेंट भी अहम होगा. 

बाजार के लिए अहम ट्रिगर्स

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक महंगाई के आंकड़ों में लगातार उछाल से दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं, जिसका असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है. इनसे निवेशकों के सेंटीमेंट पर भी असर पड़ा है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि FY24 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रहने का अनुमान है, लेकिन दूसरी छमाही में अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं. क्योंकि दूसरी छमाही में महंगाई और ब्याज दरों में कमी आने का अनुमान है. इसका फायदा बाजारों को मिलेगा.

महंगाई आंकड़ों पर रहेगी नजर

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक मंदी की आशंका और ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम हलचल की वजह से पिछले वित्त वर्ष के अंत में बाजार ज्यादा ही संवेदनशील हो गए. विजयकुमार के मुताबिक  भारत के साथ-साथ ग्लोबल मार्केट की चाल खास तौर पर से अमेरिका में महंगाई और वहां के केंद्रीय बैंक के मौद्रिक कदम तय करेंगे. अगर अमेरिका में मुद्रास्फीति में कोई कमी नहीं आती तो फेडरल रिजर्व को दरें बढ़ाना जारी रखना पड़ेगा. इसका दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ेगा.

इस समय कोई निगेटिव ट्रिगर नहीं

उन्होंने आगे कहा कि इसका दूसरा पहलू यह है कि अमेरिका में महंगाई दर नीचे आती है तो दुनियाभर के बाजारों को इसका फायदा मिलेगा. दूसरी ओर FY24 के आखिर में भारतीय बाजारों को पॉलिटिकल ट्रिगर भी बाजार के लिए निर्णायक होगा.  फिलहाल मौजूदा समय में कोई निगेटिव ट्रिगर नजर नहीं आ रहा है. बता दें कि पिछले फाइनेंशियल ईयर यानी FY23 के दौरान BSE सेंसेक्स 423.01 अंक या 0.72% चढ़ा था.

ब्याज दरों का पड़ेगा असर

ट्रेडिंगो में फाउंडर पार्थ न्याती ने कहा कि वैश्विक वित्तीय स्थिति, मुद्रास्फीति और अमेरिका में ब्याज दरों का 2023-24 की पहली छमाही पर बड़ा असर रहने वाला है. भूराजनीतिक माहौल भी महत्वपूर्ण होगा. मार्केट एनालिस्ट का कहना है कि बीता वित्त वर्ष वैश्विक स्तर पर बनी प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे कि रूस-यूक्रेन युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं की वजह से अस्थिर रहा है. चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजारों की दिशा रुपए और अमेरिकी डॉलर की स्थिति के साथ-साथ वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड से भी तय होगी.

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