Stock Market: शेयर बाजार में अब विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ी है. लगातार 9 महीने तक बिकवाली करने के बाद फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर (FPI) भारतीय शेयर बाजारों में लौटे हैं. जुलाई में एफपीआई ने शेयर बाजारों में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. डॉलर इंडेक्स में नरमी और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों के बाद FPI एक बार फिर खरीदार बने हैं. इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों से 50,145 करोड़ रुपये निकाले थे. यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में सबसे अधिक निकासी है. उस समय एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे.

5 हजार करोड़ का किया निवेश

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डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में FPI ने भारतीय शेयर बाजारों में 4,989 करोड़ रुपये का निवेश किया. माह के दौरान 9 दिन वे खरीदार रहे. इससे पहले पिछले लगातार 9 माह से एफपीआई बिकवाल बने हुए थे. पिछले साल अक्टूबर से इस साल जून तक वे भारतीय शेयर बाजारों से 2.46 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. हालांकि, जुलाई में एफपीआई ने डेट या बॉन्ड बाजार से 2,056 करोड़ रुपये की निकासी की है.

शेयर बााजर में क्यों लौटे विदेशी निवेशक?

यस सिक्योरिटीज के प्रमुख एनालिस्ट-इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज हितेश जैन का मानना है कि अगस्त में भी FPI का प्रवाह सकारात्मक बना रहेगा. इसकी वजह यह है कि रुपये (Rupee) का सबसे खराब समय अब बीत चुका है और कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम भी एक दायरे में कारोबार कर रहे हैं. इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बेहतर रहे हैं.

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, जुलाई में एफपीआई के प्रवाह की वजह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल का बयान है. पावेल ने कहा कि है कि अमेरिका अभी मंदी में नहीं है. पावेल के बयान के बाद धारणा में सुधार हुआ है और वैश्विक स्तर पर निवेशक अब जोखिम उठाने को तैयार दिख रहे हैं. श्रीवास्तव का मानना है कि आगे एफपीआई का रुख क्या रहेगा, इसको अनुमान लगाने में अभी कुछ समय लगेगा.