Stock Buyback: शेयर बाजार में अच्छी बुरी खबरें आती रहती हैं. यहीं से कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल मचती है. अच्छी खबरों पर बाजार अच्छे मूड में नजर आता है. वहीं, बुरी खबर पूरे बाजार का मूड खराब कर सकती है. लेकिन, खबरों से अलग कंपनियों की तरफ से होने वाले ऐलान भी निवेशकों के लिए बहुत कुछ लाती हैं. इनमें से एक होता है बायबैक (Share Buyback). देश की बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी (TCS Buyback) ने भी इसका ऐलान किया है. 

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TCS प्रति शेयर 4,500 रुपए के भाव पर करीब 4 करोड़ शेयरों का बायबैक होगा. TCS Share Price के मुताबिक कंपनी 18,000 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक करेगी. इस तरह कंपनी बायबैक पर अपने बाजार पूंजीकरण का करीब 1.55 फीसदी खर्च करेगी.

क्या होता है बायबैक?

बायबैक का मतलब जब कोई कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है. आप इसे IPO का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने पर इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.

कब किया जाता है बायबैक?

कंपनी के पास कैश फ्लो ज्यादा होने पर कंपनी अपने ही शेयरों को वापस खरीदती है यानी बायबैक करती है. कंपनी कभी भी बाजार में अपना बायबैक ला सकती है. इसके लिए कोई निर्धारित समय या अवधि नहीं होती. बायबैक इसलिए किया जाता है, क्योंकि इससे कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है.

यहां देखें पूरी वीडियो:

 

क्यों करती हैं बायबैक?

कंपनी की बैलेंसशीट में कैश ज्यादा होने को अच्छा नहीं माना जाता. इसलिए कंपनी अपने इस कैश को शेयरों में बदल देती है. अतिरिक्त कैश को शेयर बायबैक में इस्तेमाल कर लिया जाता है. सबसे अहम प्वाइंट यह है कि कंपनी को कई बार लगता है कि उसके शेयर की कीमत (अंडरवैल्यूड) कम है. इसलिए बायबैक के जरिए उसे बढ़ाने की कोशिश की जाती है.

कंपनी या निवेशक किसे होता है फायदा?

बायबैक का फायदा कंपनी और निवेशक दोनों को मिलता है. कंपनी को ज्यादातर मामलों में कोई नुकसान नहीं होता. बल्कि के कंपनी के नियंत्रण और प्रोमोटर्स होल्डिंग बढ़ाने में फायदेमंद होता है. निवेशकों के लिए ज्यादातर मामलों में यह फायदा वाला होता है. लेकिन, कई बार कंपनियां जान बूझकर कम भाव पर बायबैक करती हैं, जिसमें निवेशकों को घाटा होता है.

कंपनी के शेयर पर कितना असर?

बायबैक से कंपनी के शेयर पर कोई खास असर नहीं होता है. हालांकि, बाजार में उसके शेयरों की संख्या घट जाती है. प्रति शेयर आय (Earning Per Share) बढ़ती है. शेयर का PE भी बढ़ता है. लेकिन, बायबैक के कारण कंपनी के कारोबार में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आता.