ऐसे खोल सकते हैं अपनी गैस एजेंसी, 10वीं पास भी शुरू कर सकता है कमाई वाला बिजनेस
डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बढ़ाने के लिए उन्हें शहर में डीलर्स की जरूरत होती है. साल 2019 के अंत तक गैस कंपनियों को 5000 नए डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने हैं.
गैस एजेंसी खोलने का मौका हर कोई ढूंढता है. मुनाफे वाला ये कारोबार न सिर्फ आसानी से शुरू किया जा सकता है, बल्कि पहले दिन से इसमें कमाई के रास्ते खुलते हैं. अगर आप भी गैस एजेंसी खोलना चाहते हैं तो आपको सभी नियमों की जानकारी होनी चाहिए. गैस कंपनियां समय-समय पर डीलरशिप प्रोग्राम चलाती हैं. डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बढ़ाने के लिए उन्हें शहर में डीलर्स की जरूरत होती है. साल 2019 के अंत तक गैस कंपनियों को 5000 नए डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने हैं. 2019 में अब तक 3000 से ज्यादा लाइसेंस दिए जा चुके हैं. अब दूसरी छमाही के लिए विज्ञापन निकाले जाने हैं.
आपके पास एक नियमित आय वाला बिजनेस करने का मौका है. लाइसेंस मिलने के बाद गैस एजेंसी सेटअप करने में तकरीबन 1 साल का वक्त लगता है, क्योंकि इसमें कई जगह से मंजूरी लेनी होती है. यूपी, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में इस वक्त सबसे ज्यादा मौके हैं. कंपनियां इन्हीं राज्यों में अपनी संभावनाएं तलाश रही हैं.
कैसे मिलेगी गैस एजेंसी
देश में तीन सरकारी गैस कंपनियां इंडेन, भारत गैस और एचपी गैस हैं. ये तीनों अपने लिए डीलर्स की तलाश करती हैं. इसके लिए समय-समय पर विज्ञापन और नोटिफिकेशन जारी किए जाते हैं. विज्ञापन के जरिए कंपनियां आवेदन मंगाती हैं. अखबार और कंपनियों की वेबसाइट पर विज्ञापन जारी किए जाते हैं. आवेदन करने वालों को एक निश्चित फॉर्मेट में अप्लाई करना होता है. आवेदन प्रक्रिया के बाद लॉटरी सिस्टम से डिस्ट्रीब्यूटर चुना जाता है. लॉटरी में जिन लोगों का नाम लिस्ट में आता हैं, उन्हें आगे के प्रोसेस के लिए बुलाया जाता है.
कौन शुरू कर सकता है गैस एजेंसी
गैस एजेंसी खोलने के लिए एजुकेशनल क्वॉलिफिकेश पहले ग्रेजुएशन थी. लेकिन, इसे घटाकर 10वीं पास कर दिया गया है. जनरल या रेगुलेटर कैटेगरी में अब कम से कम 10वीं पास भी एलपीजी डीलरशिप ले सकेंगे. ऑयल कंपनियों की तरफ से जारी नई गाइडलाइंस में अब 60 साल की उम्र तक कोई भी व्यक्ति गैस एजेंसी के लिए आवेदन कर सकता है. हालांकि, पहले एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप 21 से 45 साल तक की उम्र वाले लोगों को दी जाती थी.
‘फैमिली यूनिट’ में भी किया बदलाव
कंपनियों ने ‘फैमिली यूनिट’ की डेफ्निशन में भी बदलाव किया है. आवेदक के अलावा पति या पत्नी, पैरेंट्स, भाई, बहिन सहित सौतेले भाई और बहिन, बच्चे सहित गोद लिए बच्चे, दामाद और भाभी, सास-ससुर और दादा-दादी को लिस्ट में शामिल किया गया है. हालांकि, पहले ‘फैमिली यूनिट’ में सिर्फ आवेदक, पति-पत्नी, अविवाहित बच्चे ही आते थे. अविवाहित आवेदक के मामले में पैरेंट्स, अविवाहित भाई-बहिन आते हैं, जबकि तलाकशुदा/विधवा के मामले में सिर्फ इंडिविजुअल और और अविवाहित बच्चे आते हैं.