(रिपोर्ट: बृजेश कुमार) शेयर ब्रोकर्स की संस्था ANMI ने वित्त मंत्रालय से हाई मार्जिन में राहत देने की अपील की है. ब्रोकर्स की दलील है कि दुनिया के दूसरे बड़े शेयर बाजारों के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार में काफी ज्यादा मार्जिन है. ANMI ने दलील दी गई कि भारतीय बाजार में जोखिम पर मार्जिन लिए जाने के बजाय एक्सपोजर यानि पोजीशन के हिसाब से मार्जिन लिया जा रहा है, जो उनके लिए खर्च बढ़ाने वाला है.

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EY की स्टडी वित्त मंत्रालय को सौंपी

ANMI ने दुनिया भर में मार्जिन मैनेजमेंट प्रैक्टिस को लेकर की गई EY की स्टडी भी वित्त मंत्रालय को सौंपी है. रिपोर्ट वित्त मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के ज्वाइंट सेक्रेटरी आनंद मोहन बजाज को सौंपी गई. इस संबंध में रिपोर्ट की एक कॉपी मार्केट रेगुलेटर सेबी को भी दी गई थी. ब्रोकर्स की दलील है कि अगर मार्जिन कम रखा जाए तो विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार ज्यादा आकर्षक बनेगा.

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात में शेयर ब्रोकर्स की ओर से हाई मार्जिन के अलावा यूनिफॉर्म स्टैंप ड्यूटी के प्रस्ताव पर भी दोबारा विचार करने की मांग रखी गई है. ब्रोकर्स के मुताबिक, उन्हें इस बात का डर है कि यूनिफॉर्म स्टैंप ड्यूटी को बाद में STT की तरह लागू कर दिया जाएगा. ब्रोकर्स ने कहा कि ज्यादा ट्रांजेक्शन लागत पहले से ही ब्रोकर्स के लिए बड़ी समस्या बनी हुआ है.

ब्रोकर्स ने एक्सचेंजेज के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी लागू होने की भी जानकारी दी. साथ ही इंटर-ऑपरेबिलिटी में STT की दिक्कतों का भी हवाला दिया गया है. बता दें कि इंटर-ऑपरेबिलिटी के तहत ब्रोकर एक एक्सचेंज में मार्जिन रखकर दूसरे एक्सचेंज में भी सौदे कर सकते हैं. ब्रोकर्स के मुताबिक, अभी इंटर-ऑपरेबिलिटी के सौदों में STT को लेकर सफाई नहीं है.

खासकर नॉन डिलीवरी STT को लेकर, उस स्थिति में जब एक एक्सचेंज पर शेयर बेचा जा रहा हो औ उतने ही शेयर की दूसरे एक्सचेंज में खरीदारी हो रही हो. ब्रोकर्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जिन मामलों में डिलीवरी होगी, वहां डिलीवरी के हिसाब से STT लगेगा. वहीं, नॉन डिलीवरी कैटेगरी में नॉन डिलीवरी STT लगेगा. इस मामले में जरूरत पड़ने पर CBDT से सफाई जारी करने को कहा जाएगा.   

सेबी ने हाल ही में बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए मार्जिन काफी बढ़ा दिया था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि, चुनावों और दूसरी अहम घटनाओं को देखते हुए बाजार में उतार-चढ़ाव को सीमित किया जा सके. जी मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक, इसी महीने सेबी होने वाली बैठक में मार्जिन को कम करने पर फैसला ले सकता है. सेबी फैसला लेते समय EY की रिपोर्ट पर भी विचार करेगा.