इस हफ्ते क्या होगा BSE का हाल? 5 बिजनेस डे में 521 अंक गिरा है बाजार
इस हफ्ते शेयर बाजारों का रुख निगेटिव रहा. बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका बड़ा कारण 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों हो सकता है.
इस हफ्ते शेयर बाजारों का रुख निगेटिव रहा. बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका बड़ा कारण 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों हो सकता है. सोमवार को चुनावी नतीजे आएंगे. पिछले हफ्ते आई तेजी के बाद मुनाफावसूली के लिए भारी पैमानों पर शेयरों की बिक्री की गई, जिससे घरेलू बाजार में गिरावट रही. साप्ताहिक आधार पर, सेंसेक्स 521.05 अंकों या 1.44 फीसदी की गिरावट के साथ 35,673.25 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 183.05 अंकों या 1.68 फीसदी की गिरावट के साथ 10,693.70 पर बंद हुआ. बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 321.86 अंकों या 2.14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 14,717.49 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक 322.51 अंकों या 2.24 फीसदी की गिरावट के साथ 14,104.65 पर बंद हुआ.
सोमवार को शेयर बाजारों की मजबूत शुरुआत हुई और सेंसेक्स 46.70 अंकों या 0.13 फीसदी की तेजी के साथ 36,241 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 7 अंकों या 0.06 फीसदी की तेजी के साथ 10,883.75 पर बंद हुआ. मंगलवार को शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 106.69 अंकों या 0.29 फीसदी की गिरावट के साथ 36,134.31 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 14.25 अंकों या 0.13 फीसदी की गिरावट के साथ 10,869.50 पर बंद हुआ.
बुधवार को शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर रहा और सेंसेक्स 249.90 अंकों या 0.69 फीसदी की गिरावट के साथ 35,884.41 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 86.60 अंकों या 0.80 फीसदी की गिरावट के साथ 10,782.90 पर बंद हुआ. गुरुवार को शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 572.28 अंकों या 1.59 फीसदी की गिरावट के साथ 35,312.13 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 181.75 अंकों या 1.69 फीसदी की गिरावट के साथ 10,601.15 पर बंद हुआ.
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स 361.12 अंकों या 1.02 फीसदी की तेजी के साथ 35,673.25 पर बंद हुआ और निफ्टी 92.55 अंकों या 0.87 फीसदी की तेजी के साथ 10,693.70 पर बंद हुआ. बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे - हिंदुस्तान यूनीलीवर (3.95 फीसदी), विप्रो (2.88 फीसदी), इंफोसिस (2.18 फीसदी), अडानी पोट्स (2.15 फीसदी) और बजाज-ऑटो (1.57 फीसदी).
सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे - सन फार्मा (16.45 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (8.80 फीसदी), टाटा मोटर्स (5.52 फीसदी), टाटा मोटर्स डीवीआर (5.11 फीसदी) और मारुति (4.57 फीसदी). राजनीतिक मोर्चे पर, पांच राज्यों में हुए विधानसभा के नतीजों का असर अगले साल आम चुनावों पर भी देखने को मिलेगा. राजस्थान और तेलंगाना में 7 दिसंबर को मतदान हुए. मध्य प्रदेश और मिजोरम में 28 नवंबर को मतदान हुए थे, जबकि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 12 ओर 20 नवंबर को मतदान हुए थे. सभी पांचों राज्यों के वोटों की गिनती मंगलवार (11 दिसंबर) को होगी.
आर्थिक मोर्चे पर, देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में जुलाई-सितंबर की अवधि में गिरावट दर्ज की गई है, जोकि 7.1 फीसदी रही, जबकि इसकी पिछली तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी. इस गिरावट का मुख्य कारण डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में आई गिरावट और ग्रामीण मांग में कमी आना है. इसके साथ ही विनिर्माण और खनन गतिविधियों में गिरावट का भी जीडीपी आंकड़ों पर असर पड़ा है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, हालांकि साल-दर-साल आधार जीडीपी दर में तेजी रही. वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही थी. सीएसओ द्वारा जारी चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही के अनुमान में कहा गया, "आधार वर्ष 2011-12 के हिसाब से वित्तवर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी कुल 33.98 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 31.72 लाख करोड़ रुपये थी."
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में बुधवार को वाणिज्यिक बैंकों के लिए प्रमुख ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई ने लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है. इसके अलावा आरबीआई ने अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में निर्धारित अपने 'सख्त' मौद्रिक रुख में इस बार कोई बदलाव नहीं किया है और प्रमुख ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है. इसी प्रकार केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को भी 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 6.75 फीसदी पर बरकरार रखा है.
विदेशी मोर्चे पर, अमेरिका के व्यापार घाटे में लगातार पांचवें महीने गिरावट दर्ज की गई है और यह 10 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गया है. अक्टूबर में व्यापार घाटा 1.7 फीसदी बढ़कर 55.5 अरब डॉलर रहा, जिसका मुख्य कारण आयात में अबतक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी होनी है. आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में अक्टूबर में सितंबर की तुलना में अतिरिक्त दो अरब रुपये कीमत के उपभोक्ता सामान का आयात किया गया. वहीं, अमेरिका के सामानों और सेवाओं के निर्यात में माह-दर-माह आधार पर 30 करोड़ डॉलर या 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और अक्टूबर में यह 211 अरब डॉलर रहा.
(आईएएनएस)