भारतीय शेयर मार्केट लंबी छलांग की तैयारी कर रहा है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो शेयर बाजार नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा. फिलहाल, घरेलू बाजार एक दायरे में नजर आ रहे हैं. 39000 के पास पहुंचने के बाद सेंसेक्स करीब 5000 अंक टूट चुका है. सेंसेक्स ने अब तक 38,989.65 का ऑल टाइम हाई बनाया है. वहीं, निफ्टी ने भी 1 हजार अंक की गिरावट दिखाई है. निफ्टी भी 12000 के आंकड़ें को छूने के बेहद करीब पहुंचा था, लेकिन फिसलकर 10600 की रेंज में घूम रहा है.

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चुनाव है बाजार के लिए सबसे बड़ा ट्रिगर

भारतीय बाजार पूरी तरह से वैश्विक और घरेलू संकेतों पर कारोबार करते हैं. अब दलाल स्ट्रीट की नजरें सबसे बड़े ट्रिगर पर है. कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. वहीं, अगले साल देश के लोकसभा चुनाव होने हैं. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू शेयर बाजार के लिए इससे बड़ा ट्रिगर फिलहाल कोई नहीं है. राज्यों के चुनाव नतीजों से आगे का नजरिया तय होगा. लेकिन, बाजार की निगाहें आम चुनाव पर हैं. हालांकि, यह बहुत जल्दबाजी है लेकिन, ओपनियन पोल के मुताबिक, NDA दोबारा सत्ता में आ सकती है.

क्या कहता है शेयर बाजार का मूड?

कार्वी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में दोबारा आएगी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले उसकी सीटें कम होंगी. हालांकि, बाजार को यह मंजूर है और शेयर बाजार निश्चित तौर पर इन नतीजों का स्वागत करेगा. कार्वी के मुताबिक, साल 2019 के अंत तक सेंसेक्स 45000 के स्तर को छू सकता है. वहीं, निफ्टी भी 14000 के स्तर को पार कर सकता है. 

झूम उठेगा सेंसेक्स

कार्वी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर BJP लोकसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा छू लेती है तो सेंसेक्स झूम उठेगा और 47000 के स्तर तक जा सकता है. वहीं, अगर गठबंधन के आगे NDA को हार सामना करना पड़ता है तो बाजार अस्थिर हो जाएगा और सेंसेक्स 30000 के नीचे जा सकता है. वहीं, चुनाव के तुरन्त बाद निफ्टी भी 9000 के आसपास तक फिसल सकता है.

बाजार के लिए सकारात्मक होंगे चुनाव नतीजे

पीएम मोदी की सत्ता में वापसी का असर आर्थिक विकास और बाजारों पर भी दिखेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि पीएम मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना बाजार के लिए भी सकारात्मक होगा. पिछले कई महीनों में कई विशेषज्ञों और शोध एजेंसियों ने ऐसी ही भविष्यवाणी की है. अगर 2019 के नतीजे विपरित रहते हैं तो इसका असर भी विपरित ही होगा.

इन सेक्टर्स को करें पोर्टफोलियो में शामिल

घरेलू ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, आगे की स्थितियों को देखते हुए अपने पोर्टफोलियो में आईटी और हेल्थकेयर, ऑटोमोटिव, कैपिटल गुड्स औ फाइनेंशियल सर्विसेज को शामिल करने की सलाह है. वित्तीय बाजारों में हालिया उथल-पुथल को देखते हुए, निराशावादी होना आसान है. भारत के लिए मैक्रो दृष्टिकोण निश्चित रूप से छह महीने पहले की तुलना में कुछ हद तक खराब हो गया है. लेकिन, आउटलुक मजबूत बना हुआ है और हमें आशावादी रहने की वजह देता है.

चुनाव के नतीजे बाजार के लिए अहम

छत्तीसगढ़ की पोलिंग के साथ चुनावी मौहाल शुरू होने से भारतीय शेयर बाजारों के लिए अगले दो तिमाही तक राजनीति सबसे अहम ट्रिगर है. निवेशकों की नजर भी चुनाव पर है. जैसे-जैसे आम चुनाव नजदीक आएंगे, देश की जनता का मूड भी समझ आने लगेगा. छत्तीसगढ़ में मतदान पूरा हो चुका है. मध्यप्रदेश और मिजोरम में 28 नवंबर को चुनाव होना है. वहीं, राजस्थान और तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. 

कहां कितनी सीटों पर लड़ाई?

मध्य प्रदेश में दो सबसे बड़ी पार्टी BJP और कांग्रेस के बीच 230 सीटों के लिए मुकाबला है. वहीं, राजस्थान में 200 सीटें, छत्तीसगढ़ में 90 सीटें पर दोनों पार्टी आमने-सामने हैं. इन तीनों ही राज्य में BJP की सरकार है. वहीं, तेलंगाना में 119 सीटों पर मतदान होना है और मौजूदा सरकार TRS की है. दूसरे कार्यकाल के लिए भी क्षेत्रीय पार्टी को आसान हैं कि उनकी ही सरकार बनेगी. मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है, यहां 40 सीटों पर चुनाव होना है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तीन बार से भाजपा की सरकार आई है. वहीं, राजस्थान में एंटी-इनकंबेंसी एक बड़ी भूमिका निभाती है, 1993 से बीजेपी और कांग्रेस ने 5-5 साल सरकार चलाई है.