भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान बने रहने से प्रमुख शेयर संवेदी सूचकांकों में लगातार पांचवें सप्ताह तेजी का सिलसिला बना रहा, हालांकि सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को मुनाफावसूली के दबाव में नकारात्मक रुझान देखने को मिला. बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स कारोबारी सप्ताह के अंत में शुक्रवार को पिछले सप्ताह के मुकाबले 140.29 अंक यानी 0.37 फीसदी की तेजी के साथ 38,164.61 पर बंद हुआ. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 30.05 अंक यानी 0.26 फीसदी की बढ़त के साथ 11,456.90 पर रहा.

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हालांकि बीएसई के मिड-कैप और स्मॉल कैप सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई. साप्ताहिक आधार पर बीएसई के मिड-कैप सूचकांक 94.63 अंक यानी 0.62 फीसदी नीचे लुढ़ककर 15,076.89 पर बंद हुआ और स्मॉल कैप सूचकांक 78.38 अंक यानी 0.53 फीसदी की गिरावट के साथ 14,758.80 पर रहा. कारोबारी सप्ताह के पहले सत्र में सोमवार को विदेशी बाजारों से मिले मजबूत संकेतों से सेंसेक्स पिछले सत्र के मुकाबले 70.75 अंक यानी 0.19 फीसदी की बढ़त के साथ 38,095.07 पर बंद हुआ. निफ्टी भी 35.35 अंक यानी 0.31 फीसदी की बढ़त के साथ 11,462.20 पर बंद हुआ.

अगले दिन मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में तेजी का रुझान जारी रहा और कुछ घरेलू कंपनियों के शेयरों में तेजी से बाजार को सहारा मिला. सेंसेक्स 268.40 अंक यानी 0.70 फीसदी के तेजी के साथ 38,363.47 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 70.20 अंक यानी 0.61 फीसदी की तेजी के साथ 11,532.40 पर बंद हुआ. कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन बुधवार को सेंसेक्स में लगातार आठ सत्रों में तेजी का दौर जारी रहा, लेकिन निफ्टी लगातार सात सत्रों की तेजी के बाद थोड़ा फिसलकर बंद हुआ. सेंसेक्स बुधवर को 23.28 अंक की बढ़त के साथ 38,386.75 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 11.35 अंक फिसलकर 11,521.05 पर रहा. इसके अगले दिन होली का अवकाश होने के कारण घरेलू शेयर बाजार में कारोबार बंद रहा.

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सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को मुनाफावसूली का दबाव बढ़ने से बाजार में मंदी का रुख देखने को मिला और सेंसेक्स पिछले सत्र के मुकाबले 222.14 अंक यानी 0.58 फीसदी की गिरावट के साथ 38,164.61 पर बंद हुआ. निफ्टी भी 64.15 अंक यानी 0.56 फीसदी लुढ़ककर 11,456.90 पर बंद हुआ. आखिरी सत्र में घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुझान रेटिंग एजेंसी फिच द्वारा भारत के आर्थिक विकार दर अनुमान में कटौती की रिपोर्ट के बाद देखने को मिला. फिच वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकार दर का अपना अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया.