बाजार में पैसा लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वायदा बाजार के साथ-साथ अब कैश सेगमेंट में भी रिटेल इन्वेस्टर की अच्छी खासी हिस्सेदारी है और हर वित्त वर्ष ये बढ़ती ही जा रही है. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए एक स्टडी पेश की है. इस स्टीड में सेबी यानी कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने बड़ा खुलासा किया है. स्टडी के मुताबिक, वायदा बाजार के बाद अब कैश मार्केट में भी ट्रेडर्स को भारी नुकसान हो रहा है. सेबी की स्टडी बताती है कि कैश मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर्स को भारी नुकसान हो रहा है. ट्रेडर्स अब इंट्राडे ट्रेडिंग में घाटा पेश कर रहे हैं. 

कैश सेगमेंट में ट्रेडर्स को घाटा

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सेबी की स्टडी में खुलासा किया गया है कि कैश सेगमेंट में हर 10 में से 7 इंट्राडे ट्रेडर्स पैसा गंवा रहे हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि इन लोगों में युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा है. 10 में से 7 लोग जिन्हें नुकसान हो रहा है, उनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने वायदा सौदों के बाद अब कैश सेगमेंट के इंट्राडे सौदे करने वालों पर अपनी स्टडी जारी की है.

इंट्राडे ट्रेडिंग में हिस्सेदारी बढ़ी

सेबी की ओर से जारी स्टडी के मुताबिक, अब कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान यंगिस्तान ज्यादा पैसे गंवा रहा है. स्टडी में बताया गया है कि कैश सेगमेंट में 10 में से 7 इंट्रा डे ट्रेडर्स को नुकसान हुआ है. FY23 में इंट्राडे ट्रेडिंग में FY19 के मुकाबले 300% बढ़ोतरी हुई है लेकिन जितनी ज्यादा ट्रेडिंग, उतना ही ज्यादा नुकसान बढ़ने के आंकड़ें सामने आए हैं. 

इंडिविजुअल ट्रेडर्स 300% बढ़े

सेबी की स्टडी में बताया गया है कि FY19 के मुकाबले FY23 में इंडिविजुअल ट्रेडर्स की संख्या 300% बढ़ी है. इसके अलावा 30 साल से कम आयु के इंट्राडे ट्रेडर्स की हिस्सेदारी भी बढ़ी है और युवा ट्रेडर्स FY19 में 18% थे, जो कि FY23 में बढ़कर 48% हो गए हैं. इसके अलावा ये भी बताया गया है कि साल में 500 से ज्यादा सौदे करने वाले 80% लोग नुकसान में है और अन्य के मुकाबले 30 साल से कम के 76% ट्रेडर्स को नुकसान है. टॉप 10 ब्रोकर्स से मिले आंकड़ों के आधार पर स्टडी की गई है और स्टडी FY19, FY22, FY23 के ट्रेडिंग आंकड़ों पर आधारित है. 

किस वजह से हो रहा घाटा

स्टडी में बताया गया है कि ट्रेडर्स को घाटा होने की बड़ी वजह ट्रेडिंग की ज्यादा लागत भी रही है. सेबी की स्टडी में इक्विटी शेयर और इक्विटी ईटीएफ भी शामिल हैं. सबसे ज्यादा 50,000 रु/साल से कम वैल्यू के ट्रेडर्स, इनकी संख्या करीब 51% है और सबसे ज्यादा संख्या 5000 रु तक के ट्रेड साइज वालों की है, जो 47.4% हैं. इसके अलावा 5000-25000 रु के सौदे करने वाले करीब 26.4% लोग हैं. FY23 में कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडर्स की संख्या 2.18 करोड़ रही है. जिन्हें मुनाफा हुआ उनके मुनाफे का 19 फीसदी ट्रेडिंग लागत में खर्च होता है.