Mutual Funds के लिए खुलेगा क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप मार्केट, Sebi ने दिया प्रस्ताव
Mutual Funds: मौजूदा स्ट्रक्चर के तहत म्यूचुअल फंडों को केवल उपयोगकर्ता के रूप में सीडीएस लेनदेन में शामिल होने की मंजूरी है.
Mutual Funds: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने देश में डेट मार्केट को और विकसित करने के लिए म्यूचुअल फंडों (Mutual Funds) को निवेश उत्पाद क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS) की खरीद-बिक्री में अधिक लचीलापन देने का प्रस्ताव रखा. मौजूदा स्ट्रक्चर के तहत म्यूचुअल फंडों को केवल उपयोगकर्ता के रूप में सीडीएस लेनदेन में शामिल होने की मंजूरी है. ऐसा सिर्फ उनके द्वारा रखे गए कॉरपोरेट बॉन्ड पर डेट रिस्क को कम करने के लिए किया जा सकता है.
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड यह लेनदेन सिर्फ एक साल से अधिक अवधि वाली फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) के पोर्टफोलियो में कर सकते हैं. रेगुलेटर ने अपने कंसल्टेशन पेपर में एक दिन की और नकदी वाली योजनाओं को छोड़कर सभी योजनाओं के लिए सीडीएस (CDS) खरीद के साथ ही सीडीएस बिक्री में म्यूचुअल फंडों को भागीदारी देने का सुझाव दिया है.
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) ने प्रस्ताव पर जुलाई तक टिप्पणियां मांगी हैं. बाजार की भाषा में सीडीएस एक डेट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें कर्ज की स्थिति में एक प्रतिपक्ष (सुरक्षा विक्रेता) दूसरे प्रतिपक्ष (सुरक्षा खरीदार) को भुगतान करने का वादा करता है और सुरक्षा खरीदार उसके बदले में सुरक्षा विक्रेता को नियमित भुगतान करता है. यह एक तरह से कर्ज का बीमा करने जैसा है.
- सेबी का MF क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS) नियमों में राहत का प्रस्ताव
- प्रस्ताव के मुताबिक MFs CDS के बायर और सेलर दोनों बन सकेंगे
- CDS एक तरह से इंश्योरेंस की तरह, जोखिम कवर करने में मददगार
- प्रीमियम के बदले जोखिम वाली सिक्योरिटीज के डिफॉल्ट का दूसरी पार्टी कवर देती है
- शर्त है कि CDS का इस्तेमाल जोखिम कवर करने के लिए ही होना चाहिए
- सेबी का प्रस्ताव कि लो इंवेस्टमेंट ग्रेड वाली डेट सिक्योरिटीज के लिए भी CDS खरीद की छूट दी जाए
- सेबी ने सभी पक्षों से कंसल्टेशन पेपर पर 1 जुलाई तक राय मांगी