ऑनलाइन बॉन्ड में निवेश करना होगा और आसान, सेबी बना रहा नया नियम
online bond platforms: कंसल्टेशन पेपर के अनुसार, प्रस्ताव के तहत बॉन्ड प्लेटफॉर्म को सेबी के पास डेट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में रजिस्ट्रेश कराना होगा या सेबी रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के रूप में उसे चलाना होगा.
online bond platforms: कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज बेचने वाले ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म के लिए रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क का प्रस्ताव दिया है. कंसल्टेशन पेपर के अनुसार, प्रस्ताव के तहत बॉन्ड प्लेटफॉर्म को सेबी के पास डेट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में रजिस्ट्रेश कराना होगा या सेबी रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के रूप में उसे चलाना होगा. हालांकि, इस व्यवस्था में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) रेग्युलेटेड इंटरमीडियरिज द्वारा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा, इससे निवेशकों खासकर नॉन- इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के बीच भरोसा बढ़ेगा.
केवल लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज में होगी ट्रेडिंग
इसके अलावा इन संस्थाओं पर शेयर ब्रोकर नियम लागू होंगे. ये नियम उनकी आचार संहिता, उनके परिचालन और जोखिम प्रबंधन से संबंधित अन्य पहलुओं को नियंत्रित करेंगे. सेबी के प्रस्ताव के अनुसार, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म की तरफ से खरीद/बिक्री के लिये दी जाने वाली डेट सिक्योरिटीज केवल लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज होंगी. रेग्युलेटर ने संबंधित पक्षों से इसपर 12 अगस्त तक सुझाव मांगे हैं.
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यह प्रस्तावित किया गया है कि प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर जारी लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज बॉन्ड प्लेटफार्मों पर बिक्री के लिए पेशकश की गई, जारीकर्ता द्वारा ऐसी डेट सिक्योरिटीज के आवंटन की तारीख से छह महीने की अवधि के लिए बंद कर दी जानी चाहिए.
निवेशकों के हित के लिए उठाया गया कदम
सेबी ने कहा, यह देखा गया है कि निवेशकों, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म के संचालन को नियंत्रित करने के लिए की अनिवार्य जरूरत है. विशेष रूप से नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए कुशल ट्रेंडिंग और मजबूत इन्वेस्टर्स प्रोटेक्शन नॉर्म्स की सुविधा के लिए मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखा गया है.
ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म पर निष्पादित लेनदेन एक्सचेंजों के डेट सेगमेंट के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से या स्टॉक एक्सचेंजों के RFQ (Request for Quote) प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाएगा. यहां लेनदेन Delivery Versus Payment (DVP-1) के आधार पर क्लियर और सेटल होंगे.