बाजार में किया है निवेश? जान लें सेबी का नया नियम, शेयरों को सुरक्षित करने के लिए उठाया ये बड़ा कदम
Sebi new circular: अब डिपॉजिटरी क्लाइंट के शेयर तभी ब्रोकर के खाते में ट्रांसफर करेंगे, जब इसकी क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और क्लाइंट के दिए इंस्ट्रक्शन से इसकी मिलान हो जाएगी. सेबी का सर्कुलर 25 नवंबर से लागू माना जाएगा.
Sebi new circular for stock market: शेयर बाजार के निवेशकों के हित में मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने एक बड़ा कदम उठाया है. सेबी ने निवेशकों के शेयरों को और सुरक्षित करने के लिए नया नियम जारी किया है. सेबी ने शेयरों के पे इन की जांच के लिए सर्कुलर जारी किया है. इसके अंतर्गत अब डिपॉजिटरी क्लाइंट के शेयर तभी ब्रोकर के खाते में ट्रांसफर करेंगे, जब इसकी क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और क्लाइंट के दिए इंस्ट्रक्शन से इसकी मिलान हो जाएगी. सेबी का सर्कुलर 25 नवंबर से लागू माना जाएगा.
सर्कुलर के मुताबिक, अब क्लाइंट की नेट डिलीवरी ऑब्लिगेशन से मिलान के बाद ही शेयर ट्रांसफर किए जाएंगे. इसके लिए देखा जाएगा कि क्लाइंट ने खुद इंस्ट्रक्शन दिया है, या फिर उसकी तरफ से दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी वाले व्यक्ति ने इंस्ट्रक्शन दिया है, या फिर डीमैट डेबिट/प्लेज इंस्ट्रक्शन है. इनकी मिलान फिर क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की तरफ से दिए गए डिलीवरी ऑब्लिगेशन से मैचिंग होगी. उसके बाद ही क्लाइंट के खाते से शेयर ट्रेडिंग मेंबर के पूल अकाउंट में जाएंगे.
यूनीक क्लाइंट कोड से होगा मिलान
क्लाइंट के खाते से शेयर ट्रेडिंग मेंबर के पूल अकाउंट में जाने के बाद यूनीक क्लाइंट कोड, ट्रेडिंग और क्लीयरिंग मेंबर की आईडी, शेयरों की संख्या और सेटलमेंट के ब्यौरे के साथ मिलान होगा. मिलान नहीं होने पर सौदा रिजेक्ट हो जाएगा. अगर इंस्ट्रक्शन और ऑब्लिगेशन में मिलान नहीं हो रहा है, तो उस पर भी नियम साफ हुआ है. ऐसी स्थितियों में जहां इंस्ट्रक्शन कम का है और ऑब्लिगेशन ज्यादा का है उसमें कम इंस्ट्रक्शन वाली ही बात मानी जाएगी.
सेबी के सर्कुलर की खास बातें:
- निवेशकों के शेयरों को सुरक्षित करने का सेबी का नया नियम
- सिक्योरिटीज के पे इन जांच के लिए व्यवस्था और मजबूत होगी
- डिपॉजिटरी क्लीयरिंग से मिलान कर ही शेयर ट्रांसफर करेंगे
- क्लाइंट की नेट डिलीवरी ऑब्लिगेशन से मिलान फिर ट्रांसफर
- जांचेंगे कि ट्रांसफर इंस्ट्रक्शन खुद क्लाइंट ने दिया है या नहीं
- पावर ऑफ अटार्नी या DDPI के जरिए भी कर सकेंगे मिलान
- अर्ली पे इन के लिए मौजूदा ब्लॉक की व्यवस्था चालू रहेगी
- UCC, TM, CM ID, ISIN, संख्या मिलान के बाद ट्रांसफर
- इंस्ट्रक्शन-ऑब्लिगेशन में मिलान न होने पर भी नियम
- संख्या मिलान न होने पर कम वाला इंस्ट्रक्शन ही मान्य होगा