मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने प्राइवेट प्लेसमेंट आधार पर बॉन्ड जारी किये जाने के लिए कीमत निर्धारण की ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया में बदलाव किया. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सिक्योरिटीज का आवंटन बेहतर बोली पर हो न कि बेहतर टेक्नोलॉजी से युक्त बोलीदाता के तेजी से बोली लगाने के आधार पर. Sebi के सर्कुलर के अनुसार साथ ही, मौजूदा Electronic Book Providers (EBP) के लिये फ्रेमवर्क में भी संशोधन किया गया है.  इसमें ‘एरेंजर’ यानी सेबी के पास रजिस्टर्ड मर्चेंट बैंकर के लिये बोली सीमा और चूक की स्थिति में जुर्माना आदि शामिल हैं.

क्या है मामला?

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ऐसी रिपोर्ट थी कि अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर काम करने वाले कुछ ट्रेडर्स विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग कर बॉन्ड के लिये बोली मामले में बॉन्ड हाउस, एसेट मैनेजर्स और बीमाकर्ताओं जैसे परंपरागत निवेशकों को पीछे छोड़ रहे हैं.

1 जनवरी 2023 से लागू होगा नियम

सेबी ने कहा, तेजी से बोली लगाकर सफल बोलीदाता बनने को लेकर चिंता दूर करने के लिये, ‘बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया में संशोधन जरूरी है ताकि यह सुनश्चित हो कि आवंटन बेहतर बोली के जरिये हो न कि अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से युक्त तेजी से बोली लगाने के आधार पर. नया नियम अगले साल 1 जनवरी से लागू होगा.

सेबी ने कहा कि ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक बिल्डिंग’ प्रक्रिया 50 करोड़ रुपये और उससे ऊपर की राशि की सभी प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर जारी सिक्योरिटीज के लिये है. इसमें अधिक अभिदान आने पर बोली रखने का विकल्प शामिल है. शेयर बाजार ‘इलेक्ट्रॉनिक बुक’ प्रोवाइडर है.