F&O Trading: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग पर सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर के मुताबिक, लॉन्च के समय कम से कम कॉन्ट्रैक्ट साइज ₹15 लाख रुपये का होगा. फिर समीक्षा के समय कॉन्ट्रैक्ट साइज ₹15-20 लाख रुपये का होगा. F&O से जुड़े ज्यादातर नियम 20 नवंबर से लागू होंगे.

F&O पर SEBI का सर्कुलर जारी

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सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट साइज का नियम भी 20 नवंबर से लागू होगा. 1 फरवरी से ऑप्शंस बायर से अपफ्रंट प्रीमियम, कैलेंडर स्प्रेड बेनिफिट भी 1 फरवरी से खत्म होगा. 1 अप्रैल से इंट्राडे पोजिशन लिमिट की निगरानी होगी. हर एक्सचेंज की एक हफ्ते में 1 वीकली एक्सपायरी होगी. वीकली एक्सपायरी घटाने का नियम 20 नवंबर से लागू होगा.

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वहीं, एक्सपायरी के करीब शॉर्ट पोजिशन पर 2% अतिरिक्त ELM लगेगा. 2% अतिरिक्त ELM का नियम 20 नवंबर से लागू होगा. सेबी ने स्ट्राइक प्राइस सीमित करने का प्रस्ताव नहीं लागू किया.

F&O ट्रेडिंग में 91.5% ऑप्शन ट्रेडर्स के डूबे पैसे

सेबी की स्टीड के मुताबिक, इक्विटी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग में 10 में से 9 ट्रेडर्स को घाटा हुआ है. FY24 में 91.5% ऑप्शन ट्रेडर्स को घाटा हुआ है. जबकि 60% को फ्यूचर्स में नुकसान हुआ. FY22-24 के बीच ट्रेडर्स को बतौर ट्रांजैक्शन लागत पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च हुए. 50 हजार करोड़ रुपये में करीब 25,000 करोड़ रुपये ब्रोकर्स पर खर्च हुए. वहीं, 13,800 करोड़ रुपये STT, GST, स्टांप ड्यूटी भरा. ट्रेडर्स ने 10,200 करोड़ रुपये बतौर एक्सचेंज फीस भरा.

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FY24 में हर ट्रेडर्स ने औसतन 26,000 करोड़ रुपये F&O ट्रांजैक्शन चार्ज भरा है. ट्रांजैक्शन लागत का करीब 51% ब्रोकरेज और करीब 20% एक्सचेंज फीस है. जितनी ज्यादा रकम की ट्रेडिंग, उतना ही ज्यादा घाटा. SEBI की F&O ट्रेडिंग पर जारी नई स्टडी के मुताबिक, FY22-24 के बीच ₹1 करोड़ से अधिक ऑप्शन प्रीमियम वाले 95% ट्रेडर्स को घाटा हुआ जबकि FY22-24 के बीच ₹1 लाख - ₹1 करोड़ तक ऑप्शन प्रीमियम वाले 93.8% ट्रेडर्स को घाटा हुआ.