SEBI का मार्केट एडवाइजरी फर्म पर बड़ा एक्शन- पेट्रोल पंप के कर्मचारी और गैस एजेंसी के मालिक के नाम पर चल रहा था खेल
सेबी ने हाल में RNS ग्लोबल कैपिटल के खिलाफ एक आदेश जारी किया. सेबी के आदेश के मुताबिक RNS ग्लोबल कैपिटल सेबी रजिस्टर्ड संस्था नहीं थी. जिस लखन चौहान और रोहित सोनी के नाम पर एडवाइजरी फर्म चलाई जा रही थी. उसमें से लखन चौहान पेट्रोल पंप पर बतौर अटेंडेंट गाड़ियों में हवा भरने का काम करता है, जबकि रोहित सोनी गैस एजेंसी का मालिक था.
शेयर बाजार से मोटी कमाई कराने के नाम पर लोगों को चूना लगाने वालों के खिलाफ सेबी ने हाल में एक ऑर्डर पास किया है. ऑर्डर में वैसे तो बाकी सब वैसा ही है जैसा बाकी ऑर्डर में होता है. जैसे निवेशकों से वसूले गए रकम की रिकवरी, निवेशकों को पैसे लौटाने का आदेश और मार्केट में कामकाज से रोक. लेकिन मार्केट एडवाइजरी चलाने वालों की प्रोफाइल जरूर काफी दिलचस्प है और साथ ही बहुत से लोगों के लिए इसमें सबक भी है.
टिप्स देने के नाम पर करोड़ों की वसूली
सेबी ने हाल में RNS ग्लोबल कैपिटल के खिलाफ एक आदेश जारी किया. सेबी के आदेश के मुताबिक RNS ग्लोबल कैपिटल सेबी रजिस्टर्ड संस्था नहीं थी. आदेश तीन लोगों लखन चौहान, रोहित सोनी और शिवानी ठाकुर के खिलाफ जारी हुआ था. तीनों के नाम पर तीन बैंक खाते थे जिनमें निवेशकों से सब्सक्रिप्शन के नाम पर करीब 1 करोड़ 21 लाख रुपये की रकम जुटाई गई थी. एक खाते में 17.36 लाख रु, दूसरे में 58.36 लाख रु और तीसरे में 45.17 लाख रु जुटाए गए थे. ये रकम 2 अक्टूबर 2017 से लेकर 19 जुलाई 2020 के बीच जुटाई गई थी. टिप्स देने के लिए rnsglobal.com नाम से वेबसाइट बनाई गई थी. जबकि सेबी नियमों के तहत बिना सेबी रजिस्ट्रेशन के इनवेस्टमेंट एडवाइजरी नहीं दी जा सकती.
सालाना 10 लाख रुपये तक एडवाइजरी फीस
इक्विटी कैश, इक्विटी F&O, निफ्टी और कमोडिटी से जुड़े ट्रेडिंग टिप्स देने के नाम पर निवेशकों को लुभाते थे. जिसमें हर महीने 18,500 से लेकर 1,20,000 रु तक के सब्सक्रिप्शन की सेवा देते थे. इसी तरह तिमाही 53000 रु से लेकर 3 लाख तक और छमाही 1,05,000 से लेकर 5.5 लाख रु तक के सब्सक्रिप्शन वाली स्कीम चलाते थे. जबकि सालाना प्लान 2,10,000 रु से लेकर 10 लाख रु तक का था.
पंप अटेंडेंट, गैस एजेंसी मालिक मार्केट एक्सपर्ट!
निवेशकों की शिकायत पर सेबी ने जांच की तो पता चला कि जिस लखन चौहान और रोहित सोनी के नाम पर एडवाइजरी फर्म चलाई जा रही थी. उसमें से लखन चौहान ने सेबी को बताया कि पेट्रोल पंप पर बतौर अटेंडेंट गाड़ियों में हवा भरने का काम करता है. जबकि उसके पहले वो शेयर बाजार का कामकाज करने वाली एक निजी कंपनी में चपरासी था. जबकि रोहित सोनी ने सेबी को बताया कि वो गैस एजेंसी का मालिक था. और उसका शेयर बाजार से कोई लेना देना नहीं है. जबकि शिवानी ठाकुर नाम की आरोपी को सेबी की तरफ से भेजा गया नोटिस मिला नहीं. क्योंकि आरोपी का पता बदल चुका है औप मोबाइल नंबर बंद हो चुका है.
दस्तावेजों के गलत उपयोग का आरोप
लखन चौहान ने सेबी को दी सफाई में कहा कि उसकी शिवानी से जान-पहचान पुरानी कंपनी में हुई थी. शिवानी ने अपनी कंपनी खोलने की बात कही थी और ज्यादा वेतन का वादा किया था. जिसकी वजह से वो शिवानी के साथ काम करने को राजी हो गया. सैलरी के लिए बैंक खाता खोलने की बात पर उसने दस्तावेज दे दिया. लेकिन लखन के दस्तावेजों से उसके नाम पर खाता खोलकर निवेशकों से सब्सक्रिप्शन का पैसा लिया जाने लगा. रोहित सोनी ने भी सेबी को सफाई में दस्तावेजों के दुरुपयोग का आरोप लगाया. रोहित के मुताबिक जान पहचान होने से उसने दस्तावेज देकर बैंक खाता खोलने में मदद की थी और अपना फोन नंबर भी दिया था. बाद में जानकारी होने पर उसने मामले की पड़ताल की तो गड़बड़ी का पता चला.
सेबी का आदेश
हालांकि सेबी ने लखन चौहान और रोहित सोनी की दलीलों को दरकिनार कर दिया. सेबी ने ये माना कि उन्होंने अपने दस्तावेजों और खुद का नाम अपनी मर्जी से देने की हामी भरी है. ऐसे में उनकी इस दलील में दम नहीं है कि उनके साथ धोखा किया गया है. सेबी ने ये भी कहा है कि बयानों के अलावा ऐसा कोई सबूत भी दोनों ने नहीं दिया जिससे साबित हो कि दोनों अनरजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजरी नहीं चलाना चाहते थे.
निवेशकों के पैसे लौटाने का आदेश
सेबी ने तीनों को मिलकर निवेशकों से जुटाए फीस के सारे पैसे लौटाने को कहा है. इसके लिए तीन माह का वक्त दिया है. साथ ही 15 दिन के भीतर 2 राष्ट्रीय स्तर के अखबारों और एक स्थानीय अखबार में रिफंड के तौर तरीके का ब्यौरा छपवाने के लिए भी कहा है. तीनों की संपत्तियों की बिक्री, ट्रांसफर पर भी रोक लगी है. बैंक खातों से केवल निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए ही डेबिट करने की इजाजत होगी. तीनों पर 6 माह तक शेयर बाजार में कामकाज पर रोक भी लगाई गई है.