Mutual Funds इन्वेस्टर्स ध्यान दें! अब इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के दायरे में आएगा आपका निवेश
Mutual Funds Regulations: SEBI ने म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद-बिक्री को Insider Trading Regulations के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है. इस समय इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियम लिस्टेड कंपनियों की सिक्योरिटी के मामले में लागू होते हैं.
Mutual Funds Regulations: कैपिटल मार्केट रेगुलेरटर SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद-बिक्री को भेदिया कारोबार संबंधी नियमों (Insider Trading Regulations) के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है. इस समय इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियम लिस्टेड कंपनियों की सिक्योरिटी के मामले में लागू होते हैं. इसके अलावा लिस्ट होने के लिए प्रस्तावित कंपनियों पर भी ये नियम लागू होते हैं. अभी तक म्युचुअल फंड यूनिट्स को प्रतिभूतियों यानी सिक्योरिटी की परिभाषा से बाहर रखा गया था. सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन प्रकरण के बाद आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने छह ऋण योजनाओं पर रोक लगाए जाने से पहले उन योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी को भुनाया था.
सेबी ने गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, ''कोई भी अंदरूनी सूत्र किसी अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी से परिचित होने की स्थिति में म्यूचुअल फंड की ऐसी किसी योजना की इकाइयों में लेनदेन नहीं करेगा, जिसके शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य पर उस जानकारी के कारण प्रभाव पड़ सकता है.''
नए नियमों के तहत असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) को अपनी म्यूचुअल फंड योजनाओं की इकाइयों में एएमसी, ट्रस्टियों और उनके करीबी रिश्तेदारों की हिस्सेदारी का खुलासा करना होगा. इसके अलावा एएमसी का अनुपालन अधिकारी समापन अवधि निर्धारित करेगा, जिस दौरान नामित व्यक्ति म्यूचुअल फंड यूनिट्स में लेनदेन नहीं कर सकता है. इसे प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों में संशोधन किया है, जो 24 नवंबर से प्रभावी है.
AMCs के लिए कुछ और गाइडलाइंस लेकर आई है सेबी
पिछले दिनों सेबी ने असेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए कुछ और गाइडलाइंस भी जारी की थीं. इसके तहत म्यूचुअल फंड यूनिटहोल्डर्स को मिलने वाले डिविडेंड और यूनिट रिडीम कराने पर मिले अमाउंट के ट्रांसफर को एक निश्चित अवधि के अंदर भेज देना होगा. 17 नवंबर को जारी किए गए एक अधिसूचना में कहा गया था कि नये नियम के तहत प्रत्येक म्यूचुअल फंड और संपत्ति प्रबंधन कंपनी को यूनिटधारकों को लाभांश भुगतान और यूनिट भुनाने या पुनर्खरीद राशि सेबी की तरफ से तय अवधि के भीतर अंतरण करने की जरूरत होगी, ऐसा नहीं करने पर उन कंपनियों पर जुर्माना लगेगा.
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