भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपनी बैठक में क्रेडिट रेटिंग फर्म्स, प्रमोटर द्वारा शेयर गिरवी रखने, लिक्विड फंड्स और रॉयल्टी पेमेंट्स सहित कई अहम सुधार किए. इन फैसलों से प्रपोटर्स और ऑडिट फर्म की जवाबदेही बढ़ेगी और कामकाज में पारदर्शिता आएगी. ताजा फैसले के मुताबिक अब लिक्विड म्युचुअल फंड्स स्कीम को अपनी एसेट्स का 20% हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों जैसे लिक्विड एसेट्स में निवेश करना होगा. इस फैसले का मकसद लिक्विड म्यूचुअल फंड के निवेश को अधिक सुरक्षित बनाना है.

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इसके अलावा सेबी ने प्रमोटर के शेयर गिरवी रखने से जुड़े नियमों को भी सख्त बनाया है. कंपनी से सस्थापक अगर 20 प्रतिशत से अधिक शेयर गिरवी रख रहे हैं, तो उन्हें इसकी वजह बतानी होगी. ऑडिटर के लिए भी किसी अघोषित गड़बड़ी की जानकारी देना अनिवार्य होगा. 

सेबी द्वारा लिए गए प्रमुख फैसले इस तरह हैं -

1. प्रमोटर के शेयर गिरवी रखने से जुड़े नियमों में सख्ती.

2. एमएफ के डेट वैल्युएशन के नियम बदलेंगे.

3. कंपनी फाउंडर्स को कुल पूंजी का 20 प्रतिशत से ज्यादा शेयर गिरवी रखने पर वजह बतानी होगी.

4. दो प्रतिशत से ज्यादा की रॉयल्टी भुगतान पर शेयर होल्डर्स की मंजूरी जरूरी.

5. लिक्विड फंड में सेक्टोरल लिमिट 25% से घटाकर 20% की.

6. ऑडिटर्स को अघोषित गड़बड़ी की जानकारी देनी होगी.

7. शॉर्ट टर्म डिपॉजिट में लिक्विड फंड को निवश की इजाजत नहीं. 

8. कंपनी, एमएफ के बीच स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट को मान्यता नहीं.

9. स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट करने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. 

10. बायबैक से जुड़े नियमों पर कंसल्टेशन पेपर जारी.