सेबी बोर्ड ने SME IPO नियमों को दी मंजूरी, इन इश्यूज को नहीं मिलेगी मंजूरी, NFO के रूल्स में भी हुआ बदलाव
SEBI new rules: बाजार नियामक सेबी ने SME IPO के नियमों को मंजूरी दे दी है. मर्चेंट बैंकर के नियम कड़े करने और रिटर्न रिस्क की परख के लिए एजेंसी के नियम को भी बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है. इसके अलावा कस्टोडियन के नियमों को सख्त करने का नियम भी पास हो गया है. जानिए सेबी बोर्ड की मीटिंग में क्या हुए फैसले.
SEBI new rules: मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(सेबी) ने अपनी 208वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. इनमें SME IPO के नियमों को मंजूरी, मर्चेंट बैंकरों के लिए नियमों को सख्त करना, रिटर्न रिस्क की परख के लिए एजेंसी के नियम को मंजूरी, और UPSI का दायरा बढ़ाने जैसे कई अहम फैसले शामिल हैं. इसके अलावा सेबी ने म्यूचुअल फंड्स के लिए तय मियाद में NFO का पैसा निवेश करने के नियम को मंजूरी दे दी है. सेबी के इन फैसलों से ज़ी बिजनेस की खबर पर मुहर लग गई है.
SME IPO के नियमों में हुए ये बड़े बदलाव
SME IPO के नियमों में बदलाव के तहत, अब एक कंपनी IPO तभी ला सकेगी जब पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से 2 वर्षों में उसका ऑपरेटिंग प्रॉफिट 1 करोड़ रुपये हो. इसके अलावा,SME IPO में OFS कुल इश्यू साइज के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए और बिक्री शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी का 50% से अधिक नहीं बेच सकेंगे. ऐसे SME इश्यूज की इजाजत नहीं होगी जिनका उद्देश्य इश्यू से जुटाई रकम से प्रमोटर, प्रमोटर ग्रुप या किसी संबंधित पार्टी से लिए गए लोन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रिपेमेंट करना हो.
मर्चेंट बैंकरों के लिए नियम सख्त, रिटर्न रिस्क की परख के लिए एजेंसी
सेबी ने मर्चेंट बैंकरों के लिए नियमों को सख्त करने का भी फैसला किया है. इसके तहत, अब मर्चेंट बैंकरों को अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 25% हिस्सा हमेशा नकदी या आसानी से बेचे जा सकने वाले रूप में रखना होगा. इसके अलावा, उन्हें पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कम से कम 25 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाना होगा. इसके अलावा सेबी ने रिटर्न रिस्क की परख के लिए एक एजेंसी के नियम को भी मंजूरी दे दी है. यह एजेंसी निवेश सलाहकारों, रिसर्च विश्लेषकों और एल्गोरिथम ट्रेडिंग के लिए जोखिम-वापसी मेट्रिक्स का सत्यापन करेगी.
NFO की धनराशि को 30 दिन में करना होगा निवेश
सेबी के नए नियमों के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों को NFO में जमा धनराशि को योजना के निर्धारित एसेट एलोकेशन के अनुसार निवेश करने के लिए एक समय सीमा का पालन करना होगा. यह समय सीमा आमतौर पर 30 दिनों की होगी, जिसके अंदर फंड मैनेजर को NFO से मिली धनराशि को योजना के मुताबिक निवेश करना जरूरी होगा. यदि फंड मैनेजर निर्धारित डेडलाइन के अंदर निवेश नहीं कर पाता है, तो निवेशकों को बिना किसी एग्जिट लोड के योजना से बाहर निकलने का ऑप्शन मिलेगा.
UPSI का दायरा बढ़ा, कस्टोडेयिन के नियमों को मंजूरी
सेबी ने अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) की परिभाषा में बदलाव को मंजूरी दे दी है, इसके तहत, अब 17 और घटनाओं को UPSI की परिभाषा में शामिल किया जाएगा. सेबी ने कस्टोडियन के नियमों को सख्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. इसके तहत, अब कस्टोडियन को 75 करोड़ रुपये की अलग से संपत्ति रखनी होगी, जिसे वो आसानी से इस्तेमाल कर सकें.