इफको और कृभको जैसे राष्ट्रीय स्तर के को-ऑपरेटिव संगठनों की स्टॉक एक्सचेंज में हिस्सेदारी बढ़ाने का रास्ता खुल सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक सेबी की कमोडिटी डेरिवेटिव्स एडवाइज़री कमेटी का इसे 15 फीसदी तक करने का प्रस्ताव है.

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बीते महीने कमेटी की बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई थी. प्रस्ताव के तहत क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस में भी इतनी ही हिस्सेदारी का प्रस्ताव है. अभी अधिकतम सीमा 5 फीसदी है. मंशा ये है कि बड़े को-ऑपरेटिव संगठनों की एक्सचेंज में शेयरहोल्डिंग बढ़ने से ज़मीनी अनुभव का लाभ मिलेगा. साथ ही किसानों का भी भरोसा बढ़ेगा. किसानों की आमदनी बढ़ेगी और को-ऑपरेटिव्स को भी एक्सचेंज से जुड़ने पर ट्रेडिंग का भी लाफ मिलेगा. को-ऑपरेटिव्स की भागीदारी बढ़ने से कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट का भी विस्तार होगा.

अभी कुछ एक्सचेंजेज़ हैं जिनकी कमोडिटी एक्सचेंजेज़ में हिस्सेदारी है. लेकिन किसी भी तरह का बोर्ड में प्रतिनिधित्व और दखल नहीं है. सेबी कमेटी में एग्री प्रोड्यूसर्स, एग्री मार्केटिंग संस्थाएं और वेयरहाउस प्रोवाइडर्स के लिए भी एक्सचेंज और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस में 15 फीसदी हिस्सा बढ़ाने पर चर्चा हुई. सेबी कमेटी की बैठक में ये भी तय किया गया कि ग्रामीण इलाकों और किसानों से जुड़ी और संस्थाओं की एक्सचेंजेज़ में भूमिका दिखती है तो उनके लिए भी हिस्सेदारी 15 फीसदी करने की सिफारिश की जा सकती है. 

दरअसल, सरकार चाहती है कि किसानों और ग्रामीण इलाके के उत्पादकों को उनके उपज या दूसरे सामानों की बेहतर कीमत मिले. ताकि उनकी आमदनी बढ़े और जीवन स्तर बेहतर हो. इसलिए सरकार उन्हें पारदर्शी बाज़ार भाव से जोड़ना चाहती है. मौजूदा नियमों के तहत एक्सचेंजेज़, बीमा कंपनियों, बैंकों,डिपॉजिटरीज़ और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों को ही किसी स्टॉक एक्सचेंज में 15 फीसदी तक हिस्सेदारी लेने की इजाज़त है.

(बृजेश कुमार की रिपोर्ट)