लिस्टेड कंपनियों के शेयरधारकों को मिलेंगे ये अधिकार, सेबी ने जारी किया कंसल्टेशन पेपर
कंपनियों के बाइंडिंग एग्रीमेंट पर शेयरहोल्डर्स की मंजूरी जरूरी होगी. मैनेजमेंट, कंट्रोल पर असर वाले सभी एग्रीमेंट पर मंजूरी जरूरी होगी. 1 अप्रैल से सभी बाइंडिंग एग्रीमेंट का डिस्क्लोजर जरूरी होगा.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने लिस्टेड कंपनियों के शेयरधारकों को सशक्त बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. शेयरहोल्डर्स के एम्पावरमेंट के लिए सेबी ने कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इसके मुताबिक, कंपनियों के बाइंडिंग एग्रीमेंट पर शेयरहोल्डर्स की मंजूरी जरूरी होगी. मैनेजमेंट, कंट्रोल पर असर वाले सभी एग्रीमेंट पर मंजूरी जरूरी होगी. 1 अप्रैल से सभी बाइंडिंग एग्रीमेंट का डिस्क्लोजर जरूरी होगा.
बाइंडिंग एग्रीमेंट
सालाना रिपोर्ट में सभी बाइंडिंग एग्रीमेंट की सूचना एक जगह देनी होगी. प्रमोटर्स लिस्टेड कंपनी को बाइंडिंग एग्रीमेंट की जानकारी देंगे. प्रमोटर्स लिस्टेड कंपनियों को 31 मई तक एग्रीमेंट की सूचना देंगे. बाइंडिंग एग्रीमेंट पर बोर्ड राय देगा, फायदा कैसे ये बताएगा. शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के बिना बाइंडिंग एग्रीमेंट बेअसर होगा. मंजूरी स्पेशल रिजोल्यूशन, मेजॉरिटी ऑफ माइनॉरिटी वोटिंग से होगी. मौजूदा बाइंडिंग एग्रीमेंट का 30 जून तक डिस्क्लोजर देना जरूरी है. मौजूदा बाइंडिंग एग्रीमेंट पर FY23-24 की पहली AGM में मंजूरी जरूरी होगी.
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स्पेशल राइट परमानेंट नहीं
कुछ शेयरहोल्डर्स को दिए गए स्पेशल राइट्स परमानेंट नहीं होंगे. हर 5 साल बाद उस पर भी शेयरहोल्डर्स की मंजूरी जरूरी होगी. कईबार प्री-IPO ऐसे अधिकार निवेशकों, प्रमोटर्स को देते हैं. न्यू एज टेक कंपनियों में स्पेशल राइट्स को लेकर चिंता बढ़ी है. कई बार बिना अहम शेयरहोल्डिंग के भी नॉमिनेशन राइट्स मिलते हैं. सिद्धांत के हिसाब से जितनी भागीदारी उतना ही राइट हो. स्पेशल राइट देने के 5 साल में शेयरहोल्डर्स की मंजूरी जरूरी है. मौजूदा स्पेशल राइट्स पर भी 5 साल में मंजूरी लेनी होगी.
संपत्तियों की बिक्री पर भी शेयरहोल्डर्स की मुहर
सेबी के मुताबिक, कुछ मामलों में संपत्तियों की बिक्री पर कड़ी शर्तें लागू होंगी. कंपनी, हिस्से, या सब्सिडियरी की बिक्री पर शर्तें होंगी. बिक्री तभी जब हां के लिए ना से ज्यादा पब्लिक वोट हों. ये शर्त स्पेशल रिजोल्यूशन की शर्त के अलावा होगी.
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बोर्ड में परमानेंट सीट नहीं
बोर्ड में कोई भी सदस्य परमानेंट सीट का हकदार नहीं है. आर्टिकल/ नॉट लाइबिल टू रिटायर बाई रोटेशन से सीट होंगे. सभी डायरेक्टर्स की नियुक्ति के लिए शेयरहोल्डर वोटिंग जरूरी होगी. 1 अप्रैल के बाद आने वाले AGM में शेयरहोल्डर मंजूरी जरूरी लेनी होगी. किसी भी हाल में हर 5 साल पर शेयरहोल्डर मंजूरी जरूरी है. केवल उन्हीं मामलों में छूट होगी जो कोर्ट, ट्रिब्यूनल से नियुक्त है.
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