Insider Trading: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की तरफ से इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) को और सख्त नियम लाए जा सकते हैं. सेबी की ओर से इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर सख्ती और बढ़ गई है. इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए सेबी ने एक बड़ा कदम उठाया है. ज़ी बिजनेस को मिली जानकारी के मुताबिक, आज तक इंटरमीडिएट्री और एक्सचेंजों का फिजिकल इंस्पेक्शन होता था लेकिन अब सेबी (SEBI) ने कंपनियों को भी फिजिकल इंस्पेक्शन करना शुरू कर दिया है. सेबी (Securities Exchange Board of India) ने पहली बार कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन करने का फैसला किया है. 

इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर सेबी सख्त

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2020 में सेबी एक नया रेगुलेशन लेकर आई थी, जिसनें UPSI सूचना को स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस के तौर पर रखने की बात कही गई थी. अब स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस (SDD) की जांच के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को फिजिकल इंस्पेक्शन का निर्देश दिया गया है. अब सेबी की तरफ से BSE-NSE दोनों ही एक्सचेंजों को लगभग टॉप 200 कंपनियों के स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस की जांच करने का आदेश दिया गया है और ये काम इस साल के दिसंबर महीने तक पूरा करना है. 

मार्च तक 400 कपनियों की करनी है जांच

इसके अलावा टॉप 400 कंपनियों की जांच का टारगेट अगले साल मार्च महीने तक के लिए दिया गया है. बता दें कि देश के एक बड़े होटल की जांच पहले ही हो चुकी है. बता दें कि इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाने के लिए सेबी की ओर से ये कदम उठाया गया है. 

सेबी ने क्यों लिया ये फैसला?

मार्केट रेगुलेटर सेबी ये जानना चाहता है कि कंपनियों की ओर से SDD कलेक्शन सही से हुआ है या नहीं. इसके लिए सेबी पहली बार कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन कर रहा है ताकि इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे फ्रॉड पर रोक लगाई जा सके. 

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SDD (स्ट्रक्चर्ड डिजिटल डाटाबेस) क्यों जरूरी?

सेबी की ओर से ये प्रक्रिया शुरू हो चुकी है क्योंकि दिसंबर तक टॉप 200 कंपनियों का फिजिकल इंस्पेक्शन करना है. बीएसई-एनएसई के अधिकारी ये काम कर रहे हैं. बता दें कि UPSI की सूचना जिसके साथ भी शेयर की जा रही है, उसका एक डाटा रखना होता है. 2020 के रेगुलेशन को कंपनियां कितनी गंभीरता के साथ ले रही हैं, इस पर कंपनियों से बात करके ही जानकारी मिल सकती है. 

क्या होता है UPSI?

UPSI मतलब अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसेटिव इन्फॉर्मेशन. ऐसी सूचना, जो अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आई है और ये कुछ ही लोगों को पता है. इतना ही नहीं ये सूचना प्राइस सेंसेटिव है, यानी कि इससे शेयर की कीमत पर असर पड़ सकता है.