सालासर ब्रोकिंग को SAT से नहीं मिली राहत, केतन पारेख के साथ मिलकर कमाया था ₹12.45 करोड़ का अवैध लाभ
केतन पारेख ऑर्डर मामले में सालासर स्टॉक ब्रोकिंग को SAT से राहत नहीं मिली है. सालासर ब्रोकिंग ने अवैध लाभ का 50% ही जमा करने की अर्जी दी थी.
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सिक्युरिटी अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने केतन पारेख से जुड़े एक मामले में सालासर स्टॉक ब्रोकिंग को राहत देने से इनकार कर दिया है. सालासर ब्रोकिंग ने एक याचिका दायर कर मांग की थी कि उन्हें अवैध तरीके से कमाए गए लाभ का केवल 50% ही जमा करना पड़े, जिसे SAT ने खारिज कर दिया. आपको बता दें कि यह मामला फ्रंट रनिंग से जुड़ा है, जिसमें सालासर स्टॉक ब्रोकिंग के जरिए केतन पारेख ने अवैध सौदे किए थे.
फ्रंट रनिंग से कमाया 12.45 करोड़ रुपए का अवैध लाभ
बाजार नियामक सेबी ने अपनी जांच में पाया था कि सालासर और कुछ अन्य संस्थाओं ने मिलकर फ्रंट रनिंग से 12.45 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था. सालासर ब्रोकिंग ने अपनी याचिका में यह दलील दी थी कि उन्हें इस पूरी रकम का केवल आधा हिस्सा यानि 50% ही जमा करना चाहिए, क्योंकि बाकी रकम अन्य संस्थाओं द्वारा कमाई गई थी. हालांकि, SAT ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी.
क्या होती है फ्रंट रनिंग
सेबी ने इससे पहले केतन पारेख सहित तीन लोगों को तत्काल प्रभाव से प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है. इन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने ‘फ्रंट-रनिंग’ योजना में कथित तौर पर शामिल होकर 65.77 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया. फ्रंट रनिंग में कंपनी की अप्रकाशित संवेदनशील सूचना के आधार पर शेयरों की खरीद-फरोख्त की जाती है. इसके अलावा, सेबी ने पारेख समेत 22 इकाइयों द्वारा कथित उल्लंघनों से अर्जित 65.77 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को संयुक्त रूप से और अलग-अलग जब्त करने का निर्देश दिया था.
कैसे फ्रंट रनिंग करता था केतन पारेख
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सेबी के मुताबिक रोहित सालगांवकर और केतन पारेख ने मिलकर एक योजना बनाई थी, जिसके तहत वे बड़े ग्राहकों की गुप्त जानकारी का इस्तेमाल करके 'फ्रंट-रनिंग' के जरिए गलत तरीके से मुनाफा कमाते थे." नियामक ने यह भी बताया कि अशोक कुमार पोद्दार ने माना है कि वह इस 'फ्रंट-रनिंग' में मदद करता था. केतन पारेख और अन्य लोग कैसे काम करते थे, इस बारे में सेबी ने पता लगाया कि शक के घेरे में आए सौदों से ठीक पहले, फ्रंट रनर (जो पहले से सौदे करता था) को वॉट्सऐप चैट या कॉल के जरिए निर्देश मिलते थे.
सेबी के मुताबिक यह निर्देश एक ऐसे व्यक्ति से आते थे जिसका नंबर जैक, जैक न्यू, जैक लेटेस्ट, न्यू/बॉस, जैसे नामों से सेव किया गया था. इन नंबरों की जांच करने पर पता चला कि ये नंबर केतन पारेख के थे, जिसे रोहित सालगांवकर नाम के व्यक्ति से गुप्त जानकारी मिल रही थी.
11:41 PM IST