क्या Russian Crude Oil अब फायदे का सौदा नहीं? डिस्काउंट घटा और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज डबल
Russian Crude Oil भारतीय रिफाइनरीज के लिए अब उतना सस्ता नहीं रह गया है जितना पहले था. सूत्र के मुताबिक, 30 डॉलर का डिस्काउंट घटकर 4 डॉलर पर आ गया है और शिपिंग चार्ज लगभग डबल है.
Russian Crude Oil: क्या रसियन क्रूड ऑयल फायदे का सौदा नहीं रह गया है. यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि रूस कच्चे तेल पर जो डिस्काउंट दे रहा था वह काफी घट गया है. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन चार्ज करीब डबल वसूला ज रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय रिफाइनरी कंपनियों से रूस वेस्ट द्वारा लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा से कम की कीमत वसूल रहा है. लेकिन वह कच्चे तेल के परिवहन के लिए 11 से 19 डॉलर प्रति बैरल की कीमत वसूल रहा है. यह बाल्टिक और काला सागर से पश्चिमी तट तक डिलिवरी के लिए सामान्य शुल्क का दोगुना है.
19 डॉलर प्रति बैरल तक ट्रांसपोर्टेशन चार्ज
मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने कहा कि रूसी बंदरगाहों से भारत तक परिवहन की लागत 11-19 डॉलर प्रति बैरल बैठ रही है. यह तुलनात्मक रूप से फारस की खाड़ी से रॉटरडम तक के परिवहन शुल्क से कहीं ऊंची है. पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद रूसी तेल पर यूरोपीय खरीदारों और जापान जैसे एशिया के कुछ देशों ने प्रतिबंध लगा दिया था. इसके चलते रूसी यूराल्स कच्चे तेल का कारोबार ब्रेंट कच्चे तेल यानी वैश्विक बेंचमार्क कीमत से काफी कम दाम पर होने लगा.
30 डॉलर का डिस्काउंट 4 डॉलर पर आ गया
रूसी कच्चे तेल पर जो छूट पिछले साल के मध्य में 30 डॉलर प्रति बैरल थी, वह अब घटकर चार डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है. भारतीय रिफाइनरी कंपनियां कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलती हैं. अभी ये कंपनियां रूसी तेल की सबसे बड़ी खरीदार हैं. इस मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती और वाहनों के बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण के चलते चीन का रूस से कच्चे तेल का आयात काफी घट गया है.
44 फीसदी तेल रूस से खरीद रहा भारत
रूस के सस्ते कच्चे तेल पर अपनी ‘पैठ’ जमाने के लिए भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने काफी तेजी से अपनी खरीद बढ़ाई है. यूक्रेन युद्ध से पहले रूस की भारत की कुल कच्चे तेल की खरीद में सिर्फ दो फीसदी हिस्सेदारी थी जो आज बढ़कर 44 फीसदी पर पहुंच गई है. लेकिन अब रूसी कच्चे तेल पर छूट या रियायत काफी घट गई है.
इंडियन रिफाइनरी कंपनियों में एकजुटता का अभाव
इसकी वजह यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड के साथ निजी रिफाइनरी कंपनियां मसलन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी लिमिटेड रूस के साथ कच्चे तेल के सौदों के लिए अलग-अलग बातचीत कर रही हैं.
रोजाना 20 लाख बैरल रसियन ऑयल खरीद रहा है भारत
सूत्रों ने कहा कि यह छूट ऊंची रह सकती थी, यदि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां इस बारे में सबके साथ मिलकर बातचीत करतीं. फिलहाल रूस से प्रतिदिन 20 लाख बैरल कच्चा तेल आ रहा है. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का हिस्सा करीब 60 फीसदी है. यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले फरवरी, 2022 तक समाप्त 12 माह की अवधि में भारत रूस से प्रतिदिन 44,500 बैरल कच्चा तेल खरीदता था.