क्रूड ऑयल पर छिड़े प्राइस वॉर में आम लोगों को बड़ा फायदा मिल रहा है. अमेरिका और रूस के बीच चल रहे ऑयल वॉर से कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हैं, जिसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है. कल लगातार 6 दिनों तक दामों में कटौती के बाद आज 7 वें दिन पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि होली वाले दिन पेट्रोल और डीजल के दामों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा था. इस दिल्ली में छह दिनों में पेट्रोल 1.15 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ. जबकि डीजल का दाम 1.02 रुपये प्रति लीटर कम हुआ था. देश के अन्य शहरों में भी पेट्रोल व डीजल के दाम में एक रुपया प्रति लीटर से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी. तेल विपणन कंपनियों ने मंगलवार को दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल के दाम में 30 पैसे जबकि चेन्नई में 31 पैसे प्रति लीटर की कटौती की. वहीं डीजल की कीमत में दिल्ली और कोलकाता में 25 पैसे जबकि मुंबई और चेन्नई में 27 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है.

तेल बाजार की हिस्सेदारी को लेकर प्रमुख उत्पादकों में कीमत को लेकर छिड़ी जंग के कारण सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 31.27 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा, जोकि फरवरी 2016 के बाद का सबसे निचला स्तर है.

क्रूड पर जंग

कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी के खतरे के देखते हुए कच्चे तेल (Crude Oil) की घटती मांग के बीच तेल बाजार पर वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है. तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक (OPEC) द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर बाजार में संतुलन बनाने के लिए रूस को मनाने में विफल रहने के बाद ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने सस्ते दाम पर तेल बेचने का फैसला लिया है जिसके कारण क्रूड ऑयल के दाम काफी नीचे आ गए हैं. हालांकि जानकार बताते हैं कि तेल के इस खेल में असल किरदार अमेरिका और रूस हैं.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:

हालांकि, इन सब के बीच आज बुधवार को क्रूड के दामों में पिछले दो दिनों से लगातार सुधार देखने को मिला है. आज ब्रेंट क्रूड 38 डॉलर प्रति बैरल के पार चल रहा है. करीब 4 फीसदी की तेजी है. मंगलवार को भी दामों में मामूली बढ़त देखने को मिली थी. एशियाई बाजारों में मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में छह प्रतिशत का उछाल आया, जबकि इससे एक दिन पहले सऊदी अरब द्वारा शुरू किए गए कीमत युद्ध के चलते तेल के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी.