कमोडिटी बाजार में कारोबार का समय बढ़ाने का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. मंडी बंद होने के बाद भी कारोबार को जारी रखने के विरोध में गुजरात में बड़े पैमाने पर विरोध देखा जा रहा है. किसान संघ की गुजरात यूनिट ने इसके खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया. किसान तथा कारोबारियों के एक दल ने इस बारे में कृषि मंत्री से भी मुलाकात की और बढ़े हुए समय को वापस लेने की मांग की. किसान तथा कारोबारी अब प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर ट्रेडिंग के बढ़ाये हुए समय को वापस नहीं लिया गया तो वे इसके खिलाफ देशभर में धरने-प्रदर्शन करेंगे.

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सेबी ने लिया समय बढ़ाने का फैसला

बता दें कि कमोडिटी बाजार एवं शेयर बाजार रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कमोडिटी डेरीवेटिव्स में ट्रेडिंग के समय में बदलाव का फैसला किया है. ट्रेडिंग शुरू होने का समय अब सुबह 10 बजे की जगह 9 कर दिया गया है, और कमोडिटी में ट्रेडिंग बंद होने का समय शाम 5 बजे से बढ़ाकर रात 9 बजे कर दिया है. गैर कृषि कमोडिटीज की ट्रेडिंग का सुबह 9 बजे से रात 11 बजकर 55 मिनट किया गया है जबकि, कृषि कमोडिटीज के कारोबार का सुबह 9 बजे से रात 9 बजे किया गया है. इस नियम के मुताबिक कमोडिटी बाजार में अब निवेशक 15 घंटे ट्रेडिंग कर सकेंगे. इस संबंध में सेबी ने सभी एक्सचेंज को नोटिस जारी कर दिया है. नई समयसारिणी 31 दिसंबर से लागू होगी.

इंटरनेशनल मार्केट से तालमेल की कोशिश

अभी तक कृषि कमोडिटीज का वायदा कारोबार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है. इस फैसले के पीछे सेबी का तर्क है कि समय बढ़ाने से कारोबारियों को विदेशी बाजार के साथ तालमेल करने में सहूलियत होगी. इससे न सिर्फ विदेशी निवेशकों को भारत में ट्रेडिंग के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, बल्कि कमोडिटी एक्सचेंजों के साथ भी बेहतर तालमेल हो सकेगा.

ब्रोकर्स ने किया विरोध

हालांकि सेबी के इस फैसले का बहुत से ब्रोकर पहले से ही विरोध कर रहे हैं. खासकर छोटे ब्रोकरों का तर्क है कि लंबे समय तक ट्रेडिंग सिस्टम को अपनाने के लिए उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. उन्हें दो शिफ्ट में काम करना होगा और इसके लिए अलग से स्टॉफ रखना होगा. छोटे ब्रोकर्स का कहना है कि सेबी केवल अपना फायदा देख रहा है. और रही बात इंटरनेशनल मार्केट के साथ कदमताल मिलाने की तो, दुनिया के अलग-अलग देशों में मार्केट खुलने का समय भी अलग-अलग है. ब्रोकर्स का तर्क है कि कुछ देशों में तो 4 से 6 घंटे की ही ट्रेडिंग होती है. 

कृषि मंत्री से मुलाकात की

किसानों और कारोबारियों ने इसकी शिकायत कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से की है. विरोधियों का तर्क है कि समय में बदलाव केवल कुछ कारोबारी घरानों और ऑपरेटर्स को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. समय बढ़ाने के विरोध में वायदा कारोबारियों के साथ आयात-निर्यात करने वाले कारोबारी और किसान भी शामिल हो गए हैं. 

जोधपुर में जीरा मंडी व्यापार संघ का कहना है कि दुनिया के किसी भी देश में कारोबार का इतना लंबा समय नहीं है. व्यापार संघ का कहना है कि मंडी बंद होने के बाद ट्रेडिंग होने से सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलेगा, और सट्टेबाज जिंसों की कीमतों को प्रभावित करने का काम करेंगे.